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________________ डा. ईश्वरचन्द्र : जैनधर्म के नैतिक सिद्धान्त : २६१ इसका कारण यह है कि जैनवाद एक नैतिक तत्त्वात्मक (Ethico-Metaphysical) सिद्धांत है. यह बात सदैव स्मरण रखनी चाहिये कि तत्त्वविज्ञान के विना आचारशास्त्र न केवल अव्यावहारिक है, अपितु असंगत और असंभव भी है. एक वास्तविक नैतिक मनुष्य वही है जो दार्शनिक भी है और एक यथार्थ दार्शनिक वह नहीं है जो केवल सत्य का ज्ञान रखता हो, अपितु वह है जो दार्शनिक सिद्धान्तों को अपने व्यावहारिक जीवन पर लागू करता हो. इसी दृष्टिकोण को पुष्ट करते हुये विल ड्यूरेंट (Will Durant) ने एक दार्शनिक का दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हुये लिखा है—"To be a philosopher .. ...is not merely to have subtle thought, nor even to found a school, but so to love wisdom as to live according to its dictates, a life of simplicity, independance magnanimity and trust". अर्थात् दार्शनिक होने का अर्थ केवल सूक्ष्म विचार रखना नहीं है और न ही कोई सिद्धान्त प्रतिपादन करना मात्र है, अपितु उसका अर्थज्ञान से उस प्रकार प्रेम रखना है कि उसके आदेश के अनुसार सरलता, स्वतंत्रता, सम्मान तथा सत्यपरायणता का जीवन व्यतीत किया जाय. यदि हम पाश्चात्य दर्शन के इतिहास पर दृष्टि डालें, तो इस निष्कर्ष पर पहुँचेंगे कि दर्शन का प्रत्येक उदात्त सिद्धान्त, स्पाइनोजा के सिद्धान्त की भांति तत्त्ववाद से आरम्भ होता है और आचारशास्त्र में समाप्त होता है. जहाँ तक भारतीय दर्शन के सिद्धान्तों का संबंध है, हम यह कह सकते हैं कि नास्तिक तथा आस्तिक सिद्धान्त, समान नैतिक दृष्टिकोण रखते हुये भी एक-दूसरे से इसलिये विभिन्न हैं कि उनकी तत्त्वात्मक मान्यतायें समान नहीं हैं. चार्वाक जैसे नास्तिक सिद्धान्त भी अपनी सुखवादी आचारमीमांसा को उन तत्त्वात्मक धारणाओं पर आधारित करता है. जो पूर्णतया भौतिक हैं. यह एक खेद की बात है कि भारतीय दर्शन में यह प्रमाणित करने के लिये पर्याप्त सामग्री उपलब्ध नहीं कि चार्वाक दर्शन एक पूर्ण विकसित सिद्धान्त था. तथापि हम चार्वाकज्ञानमीमांसा, तत्वमीमांसा तथा आचारमीमांसा के विषय में, भारतीय दर्शन के अन्य ग्रन्थों में उल्लेख प्राप्त करते हैं. अन्य सभी ग्रन्थों ने तो चार्वाक धारणाओं का विरोध करने के लिये ही चार्वाक दर्शन का प्रकरण दिया है और इसलिये भारतीय दर्शन के इस भौतिक सिद्धान्त के प्रति जो सामग्री उपलब्ध है वह चार्वाक ज्ञानमीमांसा तत्त्वमीमांसा तथा आचारमीमांसा को निषेधात्मक सिद्धान्त ही प्रमाणित करती है. हमें यह स्मरण रखना चाहिये कि अन्य सभी भारतीय दार्शनिक सिद्धान्तों की भाँति चार्वाकसिद्धान्त भी यह मानकर चलता है कि आधारभूत सत्ताका यथार्थ ज्ञान ही हमारे जीवनका मार्गदर्शन कर सकता है. क्योंकि हम यथार्थ ज्ञान को केवल प्रत्यक्ष द्वारा ही प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए चार्वाकदर्शन के अनुसार कोई भी ऐसी वस्तु वास्तविक नहीं है जिसका कि हम प्रत्यक्ष अनुभव नहीं कर सकते हैं. परन्तु इसका अभिप्राय यह नहीं कि चार्वाक दार्शनिकों ने आधारभूत सत्ता को अस्वीकार किया है, यद्यपि उनका उद्देश्य अन्य सिद्धान्तों द्वारा स्वीकृत ईश्वर, आत्मा तथा अमरत्व की धारणाओं का विरोध करना था. चार्वाकदर्शन निःसन्देह भौतिक द्रव्य को सत्ता मानकर चलता है, यद्यपि यह भौतिक द्रव्य वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी तक ही सीमित माना गया है. क्योंकि चार्वाकदर्शन के अनुसार भौतिक द्रव्य ही वास्तविक है, इसलिये हम अधिक-से-अधिक सुख केवल भौतिक विषयों से ही प्राप्त कर सकते हैं. इस प्रकार चार्वाकदर्शन का मोक्ष के प्रति निषेधात्मक दृष्टिकोण भी विशेष महत्त्व रखता है और यह प्रमाणित करता है कि चार्वाकदर्शन के अनुसार आचारशास्त्र तत्त्वमीमांसा पर निर्भर है. अन्य सिद्धान्तों ने चार्वाक-आचारशास्त्र को अप्रमाणित करने के लिये उसकी तत्त्वात्मक धारणाओं पर ही आक्षेप किया है और ऐसा करके ही चार्वाक-आचारशास्त्र को निराधार बताने की चेष्टा की है. भारतीय स्वभाव से तत्ववादी हैं. इस आध्यात्मिक ऋषिभूमि में कोई भी ऐसा दर्शन नहीं पनप सकता जो तत्त्वात्मक न हो अथवा जिसका तत्त्वात्मक आधार निर्बल हो ; क्योंकि दर्शन शब्द का अर्थ आधारभूत सत्ता का प्रत्यक्षीकरण है. यही कारण है कि भारतीय दर्शन के इतिहास में अनेक महत्त्वपूर्ण दार्शनिक सिद्धान्तों का उत्थान-पतन हुआ है. यही तथ्य भारतीय संस्कृति के इतिहास के उस विरोधाभास की व्याख्या करता है जिसके अनुसार उदात्त नैतिक बुद्धधर्म, विश्वप्रिय होता हुआ भी अपनी जन्मभूमि से YOTIC 155 एययन PRODILLIA A DRDO 60edo Tal o n Intem WAlibrary.org
SR No.012040
Book TitleHajarimalmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1965
Total Pages1066
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size31 MB
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