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________________ २५२ : मुनि श्रीहजारीमल स्मृति-ग्रन्थ : प्रथम अध्याय REENSEENNRENENERNMENHAN N प्राचार्य दामोदर और कर्मसिंह का भास राग धन्यासी तथा सामेरी ढाल दीनानाथ भमर कमल बिनुं भूरें कर्मसिंह दामोदर बे भाई, पांचमें आरे बे पुण्यवंत उपना, बेहु जणे गणि पद पाई ॥ कर्म० १॥ उगणोत्तरे रतनादे जनम्यो कर्मसिंह बहोत्तर दामोदर भाई। अठासीइं नवासीइं संजम महोछब कियो रतने साह सवाई । कर्म० २॥ सोल छिन्नुई बे भाई पद पाम्या, पहिला नांने पछै बड़े भाई । मास दामोदर वर्ष एक कर्मसी अंति अणसण अंगि आई ।। कर्म० ३ ॥ दामोदर सोल गृह आठ वर्ष संयम, त्रे वीस वर्षे स्वर्ग जाई । तिण समें धनराज कर्मसिंह थी जूदो गणि नाम धराई ॥ कर्म० ४ ।। सोल सताणु खंभायति अणसण कर्यो केशवने पद ठवाई। सतर गृहे दिक्षा सतावीस वर्ष आइयु पाली सुर थाई ।। कर्म० ५॥ प्राचार्य केशव जी भास राग धन्यासी तथा ललित ढाल जागि अब भोर भयो नाभि के नंदा श्री केशवजी संघ सेवें मन भायो, सतर वरसे संघ साथे धनराज मेल करवा पासे आयो श्री केशवजी०१॥ नेतसी पिता नवरंगदे, सोलसे पंचोत्तरे जायो । निव्यासीई नवसं संजम लेई सत्तागुई गणि पद पायो ।। श्रीकेश० २ ।। विचरतां तेरोत्तरे संवच्छर सुरति नयर सोहायो। बोरा धीरजी विचार करीनई धनराजजीने तेडायो ।। श्रीकेश० ३ ॥ मेल करतां मनोरथ फलियां लालमण पाए आयो । तिन थिवर गछमाहे आया सघले जस सवायो ।। श्रीकेश० ४ ॥ सतर वीसोतरै जेठ वदि नवमी कोलदे अणसण ठायो । त्यारे बोरा वीरजी ने नामें लखि ने, गच्छनो भार भलायो॥ श्रीकेश०५॥ चउद गृहावास बत्रीस संजम में बरस त्रेवीस पद धरायो । बरस छेतालीस सरव आयु पाली स्वर्गे थयो सुर रायो । श्रीकेश०६॥ राग धन्यासी हमारे दोलति गुरुनी दयाथी, श्रीकेशवजी नी धुरथी कपा मोटी महिमा गुरुनी मयाथी ।। हमारे०१।। संवत सतर एकवीसें संबछर बोरा वीरजी हीयाती। बैसाख सुदि ७ सातम बुधवारे गच्छ भलाव्यो गुरुना कह्याथी । हमारे० २ ॥ Jain Elon For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.012040
Book TitleHajarimalmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1965
Total Pages1066
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size31 MB
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