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________________ मुनि कान्तिसागर : लोकाशाह की परंपरा और उसका अज्ञात साहित्य : २५३ संघ वंदावतां धर्मनो महिमा गुरुभाई सुं संतोष थयाथी । गणि तेगसिंघनें सुगुरु प्रसादें सरव संपति सुख सयाथी । हमारे० ३ ॥ पूरबे पंचपाट विद्ध जांणी विचार्या मन नी मयाथी । Jain Education International कानजी में पौतासम कोषो गणि तेजसिंग पासे रह्यावी | हमारे ४ ॥ संवत सतर तालीस सबच्छर चौमासो सूरति थयाथी । दिन-दिन दौलति अधिको दीस दुसमन दोष गया थी । हमारे ५ ।। कलशली लुकागच्छ उतपति कही ते सत्य संघ सेवे सांभलौ सही । वली साध सारा गुण भंडारा थया घटनाम ते कही ॥ वली वाट पाटोघर धरम धुरंधर गांम नामे सवे कह्या । तेहनां पोच कल्याणक माता पिता नाम जांणी परम्पराए लह्या ॥ संवत सतर एकावन संवछर दीवनगर चोमास । ए भण गुणें जे कहे गणि तेजसिंघ तस घर संपति सुखवासए || इति श्रीगुरु - गुणमाला भास सम्पूर्ण ॥ सर्वगाथा ६६ ।। इस प्रति में अंतिम एक और सामूहिक गीत है जो इस प्रकार है— राग देशाख भावक मुकायां ॥ ल० १ ॥ दीपाव्यां । मिटाया ॥ ल० २ ॥ सरवा । तरवा ||ल० ३ ॥ लबधवंत काही सिद्धान्त वचन सुणाविनें मिथ्यात असंयत पूजन उथापिनें दया धर्म सांत आंतर जिम जिरगे मिथ्यात भांण भीम दनु भीमजी जगमल मुनि रूपऋषि संजम लियो भवसायर तस पाटे जीवऋषि थया पाटे वरसंघ जांगे । वरसंघ तस पाट वली माने सहु संघ जसवंत रूप दामोदरू कर्मसिंह कुल तस पाट केशव गणि तेज अधिके वांन ॥ ल० ५ ॥ श्रीजेठमलजी द्वारा अहमदाबाद के किसी अंग्रेज उच्च अधिकारी अविकल रूप से उद्धृत करना संभव नहीं. आंण ||ल० ४ ॥ भांण । समभाव्यां । इन ऐतिहासिक स्फुट गीतों के अतिरिक्त भी स्वामी को प्रेषित पत्र प्राप्त है पर स्थानाभाव के कारण उसे अन्त में लोकाशाह के अनुगामियों से निवेदन करना चाहूँगा कि वे इतस्ततः विशृंखलित महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक सामग्री के आधार पर अपने पूरे इतिवृत्त के प्रकाशन पर ध्यान दें. मेरा विश्वास है यदि ऐसा किया गया तो अनेक मूल्यवान् नव्य और भव्य तथ्य प्रकाश में आने की पूर्ण संभावना है. For Private & Personal Use Only 30 30 30 30 30 30 30 30 30 305 30 30 30 30 30 305 30 34308308 www.jainelibrary.org
SR No.012040
Book TitleHajarimalmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1965
Total Pages1066
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size31 MB
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