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________________ मुनि कान्तिसागर : लोंकाशाह की परंपरा और उसका अज्ञात साहित्य : २५१ सोलछके संजम ले विचरिइं, सत्तावीसें गणि पद लीजें। विचरतां वर्ष साठे चितव्यो कौंन हिवे पद थापीजें । वर० २ ।। रात्रे देव सुपन माहे कहियो पर्वत सुत पद दीजै । अगुणपंचासै जसवंतजीने दीक्षा दे पद ठवीजै ॥ वर० ३ ॥ बार वरस झाझेरां गणी बे विचर्या ने हव दीजै । सोले बासठे माहि पुन्य जे अणसण अंगि आदरीजे ॥ वर० ४ ॥ सोल गृहवास सोल वर्ष संजम पेंत्रीस पद पालीजे । बोहोत्तेर वर्षनो आयु पाली पाम्यां स्वर्ग सहीजै ।। वर० ५ ॥ *NEWMMMMMMMMMMME* प्राचार्य जसवंतजी-भास राग धन्यासी, नट ढाल पीया तेरे अखियां उपर वारी, जसवंतजीइं जग माहे जश पायो, चौरासी गछ माहे जस चावो सगले देस सवायो ।। जस० १॥ पर्वत पिता सहोदर माता सोलें चोत्रीसे जायो। उगणपंचासे संयम लेई पद त्रीसी दिने आयो । जस० २ ॥ सोल अठ्यासीए मगसिर पुन्यम रूपसाहजी ने पद ठायो । मिगसिर बदि बीज बुद्ध अणसण, आराधी देव पद पायो । जस० ३ ।। सोल गृहावास वर्ष अठत्रीस में संजम पद धरायो। चोपन वरस सर्वे आयु पाल्यौ गणि तेजसंघ गुण गायो । जस० ४ ॥ रूपसाह भास राग धन्यासी, सांरग, ढाल रे वनचर कौन देश थै आयौ जसवंतजी पाट पर रूपसाह नीको, जसनो जिहाज जाणी जसवंतजी दियो आचार्य पद टीको । जस० १॥ पिथड पिता कनकाई जनमो सोले अठाणवे कीको । संजम पंच्योत्तरे सोल अठ्यासी धणी थयो गणि पदवीको ।। जस०२॥ सोल छन्नुइ अणसण कीधो पच्चख्खाण भात पाणीकों। दामोदर ने पद देई देव पद पाम्या जग माहे जस जाको ।। जस० ३ ।। सतर गृहावासइ इकवीस संजम सात वर्ष आयु पदवीको । अठवीस वर्षनो आयु जांणी कहे तेजसिंह रूपसाह को ।। जस०४ ।। Privatearersoi www.jainelibrary.org
SR No.012040
Book TitleHajarimalmuni Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShobhachad Bharilla
PublisherHajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
Publication Year1965
Total Pages1066
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size31 MB
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