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________________ 88 आधुनिक विज्ञान और अहिंसा या परोक्ष इसे बल देते है। ___अद्यतन युद्ध मुख्यतः स्थल सेना, जल सेना और वायुसेना पर निर्भर है। ये तीनो सेनाएँ पूर्णत यत्राधीन है। एक समय युद्ध के परिवहन के साधनो मे घोडे और खच्चरो का समावेश होता था। पर आज उनका स्थान मोटर, जीप, मोटरसाईकल और टैकों ने ले लिया है। तलवार, भाले आदि भारतीय शस्त्र अव बहुत पुराने पड़ गये है। अव तो स्टेनगन, बेनगन और शक्ति शाली आग्नेयास्त्रो का युग है। दूर मारक तोपे आदि विज्ञान की परिणति है। नौ सेना और वायुसेना तो केवल विज्ञान पर ही अधिक निर्भर है। तारपीडो, यू-वोट एव राडर इनके मुख्य उपकरण है । जो राष्ट्र इस प्रकार के वैज्ञानिक साधनो से सज्जित है, वे ही दूसरो पर अपना प्रभाव स्थापित कर सकते है। यद्यपि अमेरिका के पास वायुयान प्रचुर परिमाण मे विद्यमान है, तो भी रूस की राकेट विपयक प्रगति अधिक सतोपजनक है। युद्ध मे वैमानिक अनिवार्यता स्पष्ट है । पर प्रक्षेपणास्त्रो ने इसका महत्त्व कम कर दिया है। ___ अद्यतन सेना की प्रत्येक शाखा मे वायरलैस, टेलीफोन, टेलीविजन, फोटोग्राफी और रेडियो आदि महत्त्वपूर्ण यत्रो का उपयोग होता है । यौद्धिक चिकित्सा के क्षेत्र मे भी विज्ञान की महिमा अपरम्पार है। रासायनिक पदार्थो से निर्मित तत्काल गणदायक और प्रभावोत्पादक औपधियाँ विज्ञान ने दी। पौष्टिक तत्त्वो से सयुक्त ऐसी टिकियाऍ बनी जिनसे मनुप्य अपनी शक्ति भली प्रकार अधिक समय तक सुरक्षित रख सकता है। कहने का तात्पर्य है कि विज्ञान ने युद्ध के सामान्य से सामान्य समझे जाने वाले तत्त्व को भी गम्भीरतापूर्वक स्पर्श किया है। अतः मनुप्य की शरीर सम्बन्धी वीरता का अव कोई महत्त्व नही रह गया । युद्ध मे जय-पराजय का कारण जन सख्या, साहस पूर्ण वीरता या चातुर्य नही अपितु योजना, सगठन और कल-कारखाने है। जो युद्धलिप्सु राष्ट्र अधिकाधिक शस्त्रास्त्र वना सकते है, वे ही विजेता की कोटि मे आते है। आजकल प्रत्येक वस्तु मे महान् परिवर्तन दृष्टिगत होता है । अणु शक्ति के प्रावल्य ने अव युद्ध को अमानुषिक और
SR No.010855
Book TitleAadhunik Vigyan Aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Kantisagar, Sarvoday Sat Nemichandra
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1962
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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