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________________ इक्कीस वर्तमान युद्ध, विज्ञान और अणु शस्त्र आज समस्त विश्व के सम्मुख सव से भयानक और दुसपूर्ण समस्या युद्ध की है। वे प्रतिक्षण भाषा में रहते हैं कि सामान्य तनाव भी कहा विश्व युद्ध का जन्म न देवढे । यदि निकट भविष्य में वौद्धिक ज्वालाएं प्रज्ज्व वित हुई तो राम रोम सिहर उठेगा। विश्व का समस्त मानव समाज भली भांति इस तथ्य से परिचित है कि युद्ध से कभी नमी को किसी प्रकार का लाभ नहीं होता । धन, जन और सभ्यता की हानि के साथ मानव संस्कृति के नालस्थल पर क्लक का टीका ही लगता है। विगत युद्धा के प्रांकडे हमारे सम्मुग है । यद्यपि युद्ध वे समय सामान्य नागरिक या उससे सीधा सम्बाप नही रहता फिर भी वह युद्ध के प्रभाव से अपने आपको नही बचा पाता । राष्ट्री की महत्त्वाक्षाएं जन-जीवन का धूमिल बना देती है । सदय विभाग की तलवार गूत में बच्चे धाग स बधी सर पर लटकती रहती है, जा तनिक भी हवा वासावर गिर सकती है । सामाजिक जीवन युद्ध से विछिन्न हा जाना है। सामूहिक साथ सामग्री के मलावा कई जीवनापयोगी वस्तुमा पर इउा जा भयकर कालिक प्रभाव पड जाता है, यह तीन नष्ट नही होना । निगत महायुद्ध राजा प्रभाव रिश्वतयारी, चार जारी मनतिस्ता पोर व्याभिचार के रूप में भारत पर पडा है, वह माज नी मूलत नष्ट नहीं हुमा । विज्ञान मानवानुसार विभिन प्रकार प्रयतन जना पान गाटर, जीप पौर तोपा थादिनिमाण कर बुद्ध वृत्ति या प्रवाहित किया है।निया अपना समय उपयुक्त पूरक अपना के निमाण में लगाया है। हम दवना यह है ि माधुनिक सुद्धा विज्ञान नियमित प्रकार प्रत्य
SR No.010855
Book TitleAadhunik Vigyan Aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Kantisagar, Sarvoday Sat Nemichandra
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1962
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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