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________________ वर्तमान युद्ध, विमान और प्रणु अस्त्र रामसी बना दिया है । मृत्यु की सदेशवाहिका विपाक्त वायु के भय से सनिक दवा में रौरव का अनुभव करते हैं। किसी भी समय वे मृत्यु के मुस में जा सकते है | 89 यदि तृतीय विश्व युद्ध प्रारम्भ हुआ तो सम्पूर्ण विश्व प्रभावित हुए बिना न रहेगा । अत भारत का यह सदव हार्दिक प्रयत्न रहा है कि विश्व म जहाँ कहीं भी युद्धाग्नि की चिनगारी दीने, तत्काल त्रुमा दी जाए। ऐसे प्रयत्नाम सोभाग्य से भारत का कई स्थाना म सफलता भी मिली है। वास्तविक वान यह है कि आक्रमण या सुरक्षात्मक कितनी ही यत्राधीन सामग्री का निर्माण क्या न किया जाए, पर विज्ञानजनित सवनाश से मानन समाज को बचाए रखने का एक मात्र प्रयास विश्वशान्ति ही है, जिसकी भित्ति हिसा की सुदृड शिला पर प्राधूत है ।
SR No.010855
Book TitleAadhunik Vigyan Aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Kantisagar, Sarvoday Sat Nemichandra
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1962
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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