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________________ अट्ठाईस - आधुनिक विज्ञान का रचनात्मक उपयोग जैसा कि पहले सूचित किया जा चुका है कि विज्ञान का भला-बुरा प्रयोग मानव के दृष्टिकोण पर अवलम्बित है। मुख-समृद्धि की अभिवृद्धि के लिए किए गए प्रयोग गान्ति स्थापित कर सकते है। पर यदि स्वार्थ प्रेरित भावना से इसका उपयोग किया गया तो यह विध्वसात्मक और नर-सहारक भी प्रमाणित होता है। __रेडियम संसार की एक ऐसी वहुमूल्य धातु है जिसके छोटे से अणु अर्थात् एक मागा के हजारवे भाग मे ऐसी शक्ति है जो विशाल भवन को प्रकाश प्रदान कर सकती है। यदि भविष्य मे रेडियम बहुलता से उपलब्ध होगी तो गायद विद्युत् की आवश्यकता नहीं रह जायेगी। क्योकि रेडियम के अणु दीवाल पर प्लास्टर के साथ लगा दिये जायेगे तो उसका प्रकाश आवश्यक कार्यो को सुचारुतया सम्पन्न कर सकेगा। यन्त्रोद्योगो मे हजारों टन कोयलो का कार्य दो माशा रेडियम ही कर देगा । किन्तु विश्व में रेडियम की मात्रा दस-ग्यारह तोलो से अधिक नहीं है । इग्लैण्ड के विशाल चिकित्सालय मे केवल पन्द्रह माशा ही उपलब्ध है। भारत मे पटना के अतिरिक्त कहीं भी रेडियम द्वारा चिकित्सा की व्यवस्था नहीं है। इसका मूल्य वीस लाख यानि स्वर्ण से चौवस हजार गुना अधिक है। इस अल्पता के कारण कृत्रिम रेडियम निर्माण की सफल चेष्टा वैज्ञानिको ने की है। इसकी ऊष्मा से कई असाध्य रोग सुसाध्य की कोटि मे आते देखे गये है। __अणु की तापीय शक्ति का सृजनात्मक उपयोग सफलता के साथ करने के लिए यदि यत्न किया जाय तो ईधन की समस्या सुलझ सकती है। यातायात के साधनो को इस ऊप्मा से अधिक सक्षम बनाया जा सकता है। रोगो पर भी काबू पाया जा सकता है । वैज्ञानिको का तो दावा है कि वे इसके द्वारा मृत्यु पर भी विजय प्राप्त कर लेगे और यह सब तभी संभव
SR No.010855
Book TitleAadhunik Vigyan Aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Kantisagar, Sarvoday Sat Nemichandra
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1962
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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