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________________ कौटल्य का अर्थशास्त्र इसके अतिरिक्त राजा के दैनिक कर्तव्यों का निरूपण करते हुए एडी ने कौटलीय अर्थशास्त्र के कुछ स्थल ज्यों के स्यों उद्धत कर ए हैं। दशकुमारचरित में सोमदत्त के चरित में इसने कौटलीय र्थशास्त्र का फिर उस्लेख करते हुए लिखा है कौटिल्य-कामन्दकीयादि-नीतिपटलकौशल ......। (३) जैनधर्म के नन्दिसूत्र में, पश्चतन्त्र में लोमदेव कृत नीति. क्यामृत में और कालिदासकृत प्रन्थों पर मल्लिनाथीय टीका में चाणक्य , अर्थशास्त्र के उल्लेख या उद्धरण उपलब्ध होते हैं। (४) चन्द्रगुप्त मौर्य के साथ चाणक्य का सम्बन्ध अवश्य था। रई बात वक्ष्यमाण प्रमाणों से सिद्ध होती है:-- (क) । विष्णुपुराण कहता है.--- नवव तान् नन्दान् कौटिल्यो ब्राह्मण, समुदरिष्यति । ..कौटिल्य एवं चद्रगुप्त राज्येऽभियच्यति । इसी प्रकार भागवत पुराण भी कहता है: नवनन्दान द्विजः कश्चित् प्रपन्नानुरिष्यति । भन एव चन्द्रगुप्तं वै द्विजो राज्येऽभिष क्ष्यति। वायु, मत्स्य और ब्रह्माण्ड पुराणों में भी ऐसे ही वचन मिलते हैं। ब) ॥ जैन' तथा बौद्ध साहित्य में प्राप्य अनेक उल्लेखों से भी उल्लिखित वचनों की पुष्टि होती है। ग) मुद्राराक्षस के कथानक में भी नौनन्दों का बंध कश चुकने के बाद चद गुप्त मौर्य के शासन को सुदृद्ध करने के लिए किए हुए चाणक्य के प्रयत्नों का वर्णन है । १. इस बारे में मुख्य मुख्य जैन ग्रन्थ ये हैं:-स्थविसवलीचरित नन्दिसूत्र और ऋषिमण्डलाकारणवृत्ति । २ इस बारे में मुख्य मुखर बौद्ध अन्य ये हैं:-बुद्धघोषकृत समन्तपशादिका (विनयपिटक की एक टीका) और महावणस-टीका ।
SR No.010839
Book TitleSanskrit Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Agrawal, Lakshman Swarup
PublisherRajhans Prakashan
Publication Year1950
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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