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________________ १० धर्म के बालारण घटना विशेष से संबंधित पर्यों में रक्षाबंधन, अक्षयतृतीया, होली आदि पर्व आते हैं, क्योंकि ये प्रसिद्ध पौराणिक घटनाओं से संबंध रखने वाले पर्व हैं । ऐतिहासिक घटनाओं से संबंधित आज के राष्ट्रीय पर्व - स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस कहे जा सकते हैं। कालिक अर्थात् शाश्वत पर्व न तो किसी व्यक्ति विशेष से संबंधित होते हैं, और न घटना विशेष से; वे तो आध्यात्मिक भावों से संबंधित होते हैं। दशलक्षण महापर्व एक ऐसा ही कालिक शाश्वत पर्व है जो प्रात्मा के क्रोधादि विकारों के अभाव के फलस्वरूप प्रकट होने वाले उत्तमक्षमादि भावों से संबंध रखता है। घटनाओं और व्यक्ति विशेष से संबंधित पर्व निश्चित रूप से अनादि नहीं हो सकते, क्योंकि वे संबंधित घटना या व्यक्ति से पूर्व संभव नहीं हैं। वे अनन्त भी नहीं हो सकते, क्योंकि जब भविप्य में कोई इनसे भी महत्त्वपूर्ण व्यक्ति उत्पन्न हो जायगा या घटना घट जायेगी तो जगत उसे याद रखने लगेगा, उससे संबंधित पर्व मनाने लगेगा, इन्हें भूल जायगा। अगले तीर्थकर उत्पन्न होने पर भविष्य में उनकी जयन्ती और निर्वाण दिवस मनाया जायगा, इनका नही। जिसप्रकार हम भूतकाल की चौबीसी को भूल-से बैठे हैं, उसीप्रकार भविष्य इन्हें भी याद नहीं रख पावेगा। घटनाएँ और व्यक्ति कितने ही महत्त्वपूर्ण क्यों न हों, वे सार्वभौग और सार्वकालिक नहीं हो मकते। उन सब की अपने-अपने क्षेत्र और काल संबंधी सीमाएँ हैं, वे असोम नहीं हो सकते । अत: वे ही पर्व सावभौम और सार्वकालिक हो सकते हैं, जो किसी व्यक्ति विशेष या घटना विशेष से संबंधित न होकर सभी जीवों से, उनके भावों से, समानरूप से संबंधित हों। दशलक्षण महापर्व एक ऐसा ही महान पर्व है जो सब जीवों के भावों से समानरूप से संबंधित है। यही कारण है कि वह शाश्वत है, सब का है, और सदा रहेगा। उसकी उपयोगिता सार्वभौमिक पौर सार्वकालिक है । दशलक्षण महापर्व सम्प्रदायविशेष का नही, सब का है। भले ही उसे मात्र सम्प्रदायविशेष के लोग ही क्यों न मनाते हों, पर वह साम्प्रदायिक पर्व नहीं है; क्योंकि वह साम्प्रदायिक भावनाओं पर आधारित पर्व नहीं है, उसका प्राधार सार्वजनिक है। विकारी भावों का परित्याग एवं उदात्तभावों का ग्रहण ही उसका प्राधार है,
SR No.010808
Book TitleDharm ke Dash Lakshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1983
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size13 MB
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