SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 460
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सेणियनिवपुट्टेणं सभाए ससुराऽसुराए वीरेणं । वागरिओ दुक्करगारओ त्ति भुवणस्स कयहरिसो ॥२०॥ नवमासपरीमाणं काउं इय दुष्करं तवच्चरणं । काउं पाओवगमं मासं ठाऊण स महप्पा ॥२१॥ जाओ अणुत्तरसुरो सवढे आगओय इह तत्तो । पक्खालियकम्ममलो महाविदेहम्मि सिज्झिहिइ ।२२।* ॥ इति धनुमहर्षिकथानकं समाप्तम् ॥ अथ स्कन्दमुनिवराख्यानकमुच्यते कत्तियपुरंति नयरं पउरपहं सरयसूरयिंचं व । अग्गी नाम नरिंदो अग्गि च्चिय सत्तुसलहाणं ।१। Melधूया य तस्स अइसयरूववई कत्तिय त्ति नामेणं । गिद्धेण तेण जोब्वणमणुपत्ता सा सयं चेव ॥२॥ स परिणीया कालेणं पुत्तो जाओ कयं च से नामं । किर सामिकत्तिगेयो अह वड्ढइ सो कुमारत्ते ॥३॥ | वीरसिरी नामेणं जाया भगिणी य तस्स सा दिन्ना | रोहीडगम्मि नयरे कुंचनरिंदस्स तो कुमरो ॥४॥ अन्नेसिं कुमराणं वसंतमासूसवम्मि कइया वि । माम्बहसालाओ पाहुडाई एताइं पेच्छेद ॥५॥ पुच्छइ जणणिं तत्तो माम्बहओ मज्झ नत्थि किं ? अम्मो ! । जेण न किंचि वि मह पट्टवेइ अह तस्स रुयमाणी ॥६॥
SR No.010801
Book TitleBhav Bhavna Prakaranam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSubodhchandra Nanalal Shah
PublisherGangabai Jain Charitable Trust Mumbai
Publication Year1986
Total Pages516
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy