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________________ [ २२ । खम (८७, ७७)-भिडे, युद्ध किया, । खिणे (२८)—पटकना, डालना। भिडेगा, युद्ध करेगा। खिमावत (४१)-क्षमावान खसी (१०, ८४) युद्ध कीजिए, खिमिया (१६, २३)-क्षमा भिडिये। खिम्या (४७)-समा खांचि (७६)-खाच कर, आकर्षण | सिवि (६३)-कोप करता है, कोप करके। करके। खाणि (४७)-प्रकार, तरह, खानि । खिस (७६)-भिडे, टक्कर ली, युद्ध ! साग (८७, ९१)-तलवार । किया। खाटियो (८२, ८३)---प्राप्त किया, खीच (६५)व्यंजन विशेष जो प्राय अपार्जन किया। बाजरा को उखल मे कूट खाटी (५७)--प्राप्त की। कर बनाया जाता है। खाट (७५)-प्रात करता है, प्रात्त | खीज (४१, ७२)-कोप करना। खीजतो (७१)-कोप करना । खाड (३, ८७) खड्डा, गड्डा । । खुदाइ (२३)-खुदा, ईश्वर । खाण (३६)-खानि, जीवयोनि। खुरासाण (६४) यवन खाणि (४०, ४८)-खानि, प्रकार । खू दामलजी (११)- ईश्वर, वह प्रचड खाणे (५०)-खानि, प्रकार । योद्धा वादशाह जो बहुत खाधा (६७)---खा गये। से प्राणियो के कप्ट अपने खावी (३)-खाई ऊपर सहन करता है। खापर (६३)-दुष्ट । खूटविहो (१०)-समाप्त करोगे, समात कर देंगे। खाफर (५, ३०, १००)-असुर, | खूटा (१९)-समात हो गये, मर गये। ___ राक्षस, असुर का नाम, दुष्ट । खारी (१००)-कडुवा, कटु । खूब (९५)=बहुत, वढिया । खासा (११)वटिया, सुडौल। खेचर (५७) आकाशगामी । खासी (१६) खास, विशेष, मुख्य, खेचरा (८५)-आकाशगामी । प्रधान । खेत (१०,३२) युद्धस्थल, रणक्षेत्र । खिदि खिडि (२३)-देश-देश, खंड-खंड खेतपाळ (१३)-क्षेत्रपाल । खिरिगयो (५३)--नोच दिया, उचेड़ सेतपाळा (८५)-क्षेत्रपाल नामक दिया। देवो।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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