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________________ [ २१ । कोम (३६) कूर्मावतार। । खडखड (६१)-टकराने की ध्वनि, कोयड़ो (७२)-बच्चो का एक खास । ध्वनि विशेष । प्रकार का खेल जिसमे | खडग (३२)-तलवार । कपडे को गेंद के आकार | खडि (६०)-हाककर, हाका । मे वडी दक्षता से समेट | खडिमै (८५)-चलाएगा। लेते हैं। इस गेंद को खरगी (८७)-खना, खोदा । आकाश मे फेंकते हैं | खंपाय (१६)-नाश कर दिया। ' जिससे कपडा खुलकर | खपावरण (५)- नाश करने को, ध्वंस । गेंद रूप मिट जाता है करने को। तव वच्चा हार जाता खमा (४२)-क्षमा । खर (६, ५६)-एक राक्षस जो रावण कोलाली (३९)-कुम्भकार, ब्रह्मा। का भाई था। कोसल्या (६, ५५)- कौशल्या । खरा (१३, ७७, ८६)-ठीक, पक्का, कोसिलि (१०१)-कौशिल्या । दृढ । - कोहर (७५)-कूप । खरो (८५)-पक्का, दृढ, निश्चय । कोहिक (७७)—कोई एक । खरौ (५३, ६०, ६४)-पक्का, दृढ, को (५४)-का। निश्चय। क्या (४५)-किसलिए, क्यो, कैसे। खल (१६, २१, ५६, ६६, ६७)-दुष्ट, क्य (७२)-कैसे । असुर, राक्षस, शत्रु। क्रम (५१, ७, ३७)-कर्म, काम।। खलक (८४)-ससार, दुनियाँ । किपा (९६, १०२)-कृपा । खलही (८२)-दुप्टो को। क्रिसन (३९)-श्रीकृष्ण। खला (६२, ६३)- शत्रुओ, दुष्टो। क्रीत (५, ५०)- कीर्ति । खळिकियो (७६)-कलकल की ध्वनि क्रेत (३६) - केतुह । __ करता वहा, प्रवाह मे हुया । क्रोधियो (६२)-क्रुध हुआ, क्रोध खली (८७)--दुष्ट, असुर । किया। खवाड़े (४२)-खिलाता है। खवार (४२)-खिलाता है। खंड (१००)-टुकडा। खेसां (१४)-१. भागते है २. लडते खंड-डंडूल (३०)
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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