SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 165
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [ १३ ] श्रोळगे (६०, ६१)-स्तुति करता है | कंसवाळा (68)कंस के । (करते हैं)। कंसार (१२)एक प्रकार का व्यंजनओळभा (५८)-उपालंभ । विशेप । ओलिखिौ (९७)--पहिचान लिया। कसाळ (६६) वाद्य-विशेष जो झाझ से बडा होता है। श्री ( ३, १२, २६, ३४, ४२, ४५, कंसासुर (६०) देखो 'कंस'। ४६, ४६) यह । कसासुर (१०३)-देखो 'कस' । (३, ८६)-अरे। कंसि (८२)—देखो 'कस' । प्रौडाह (९६)-उत्साह, हर्प । प्रीयीऐ (७४)—वहाँ। | कछ (५२)-कच्छपावतार । औद्रके (५२)-भयभीत हुए। | कजि (५१, ८२)-लिये श्रीळग (५६) स्तुति, यशोगान ।। कट (४३)कटि, कमर । ओळगू (३)-स्तुति करूं, यग वर्णन (E) नाग करू । कटक (६४, ७०, ८४, ८५, ६१) मेना, दल, समूह । कइ (८३)-क्या। कटक (५४.५६)-असुर, राक्षस. राठ । कटकडा (१२) सना कटग (२२)—वावक, विघ्नकर्ता। कटके (९३)—फटक, दल । कंठीर (९४)-निह (नृसिंहावतार)। कटग (६३) सेना कंत (३६)—कात, पति । कठरण (२, ३५)---कठिन ।। कव (४)-स्कन्ध, कन्धा । कठियाणी (१५)—काठियावाड प्रान्त कंमण (१९)—कीन । मे उत्पन्न स्त्री अथवा काठी कस (३६, ६०, ६१, ६२, ६७, ७१, जाति की स्त्री। ८३)-मयुराधीश उग्रसेन का पुत्र और श्रीकृष्ण का मामा कस, | कठ (४१, ५०)-कहाँ। जिसे मारकर श्रीकृष्ण ने उनकी कडकड (९१) प्रहार क कडकड (९१)—प्रहार की ध्वनि । कैद से अपने माता-पिता को ! कहिडिस (६६)-कडकडाहट की व्वनि छुड़ाया था। करते हुए गुटगे।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy