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________________ [ १४ ] कडियाँ (८६)-कटि, कमर। कपाळ (६१)-मस्तक से, शिर झुका कर। कडी (८४)-कटि, कमर । कतियाणी ( २२ )-कल्प गोत्र मे | कपि (६५) वानर । उत्पन्न एक दुर्गा-कात्यायनी । कपिल (३, ६, २८, ८२)-साख्य कतीप्राणी (१८)--देखो 'कतियारणी' शास्त्र के प्रणेता एक ऋषि कद (, ११ १६, ६४)-कव जिन्होने राजा सगर के साठ । (६६)कभी। पुत्रो को भस्म कर दिया था। कदरौ (८१)—कव का। इन्हे विष्णु का पांचवा अवतार भी मानते हैं। कदि (६४)---कव कदे (६६)-कभी कपिलि (२४, ३६, ५४)-कपिल मुनि कमति (88)-कमी। कदेई (१०३)-कभी भी। कनहिया (५८)--श्रीकृष्ण । कमध (५६)-कवध नामक असुर । कमण (२६, ३५, ५२, ७२, ६३)कना (४१) न ही। कैसे, कौन । (८६)-अथवा, और। कमध (१६)-राठौड । कना (४८)-पास कमध (३६, १००)-कमल, पकज । (६५)--या, अथवा। कमळा-कत (३६) लक्ष्मीपति, विष्णु (७८)-कव, क्यो नही। कमळी (५४)-महादेव । कन्हईयै (८३) श्रीकृष्ण। कमाणी (६६)-प्रिय पुत्र, कमाने कन्ही (५५)-पास। वाला बेटा, कमाऊ । कन्है (७३)-पास, निकट । कमाइण (५)-१. कमाने के लिये २. मारने के लिये। कन्हैया (३३)-श्रीकृष्ण । कमाई (४७, ६७)-उपार्जन । कपटी (७०)-कपट (धोखा) करने कमाली (३६, ५६, ६९)--शिव, महा देव। वाला।
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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