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________________ [ ४ ] श्री सीतारामजी लालस ने अपने संग्रह का गुटका वड़े उदार भाव से मुझे उपयोग करने के लिए भेजा, इसलिए उनका मैं विशेष रूप से आभारी हूँ। इस ग्रन्थावली के शब्द कोप मे शब्दो का अर्थ लिखकर उन्होंने मुझे और भी अधिक आभारी बना दिया है । प्रस्तुत ग्रन्थ के सम्पादन, प्रूफ सशोधन तथा शव्द कोप के लिए शब्द चयन करने और अर्थ लिखने में श्री वदरीप्रसादजी साकरिया का पूर्ण सहयोग मिला है इसलिए उनका मै बहुत बहुत आभारी हूँ। मेरे भ्रातृ पुत्र भवरलाल का तो मेरे साहित्यिक कार्यो मे सहयोग मिलता ही रहा है। श्री पीरदान लालस की जीवनी के सम्बन्ध मे कुछ भी विवरण प्राप्त न हो सका और न उनका कोई चित्रं ही मिलता है। अत उनके हस्ताक्षरो का प्रत्यक्ष-दर्शन कराने के लिए एक पृष्ठ का ब्लाक बनवाकर प्रस्तुत ग्रन्थ में दिया जा रहा है। श्री सीतारामजी लालस के गुटके मे पीरदान के हाथ का लिखा हुआ "साइया झूला" रचित एक डिंगल गीत है जिसकी लेखन प्रशस्ति इस प्रकार है-"लिखतु लालस पीरदान वांचे जिगिनु राम राम, संवत् १७९२ भादवा वद १२ ।" राजस्थान रिसर्च सोसाइटी, कलकत्ता वाले गुटके मे जो पीरदान के लिखे हुए कई ग्रन्थ है उनकी लेखन प्रगस्ति इस प्रकार है१--गीत झूले साइया रो एव गीत मीसण हरिदास रो, के अन्त में लिखा है-"लिखतंलालस पीरदान" २-गुण हिंगलाज रासो के अन्त मे "लिखतु लालस पीरदान, वांचे जिरणनु राम राम", संवत् १७९२ काति वद १४ वार थावर छै।" ____३-स्वय रचित डिंगल गीत के अन्त मे "लिखतु लालस पीरदान" ४-ईसरदास कृत 'भगवत हस' के अन्त मे "लिखतु लालस पीरदान" ५--ईसरदास कृत "गुरड पुराण' के अन्त में "लिखतं लालस पीरदान मंमत् १७६२ मती मगसरि सुदि ५ वार थावर ।" ६-ईसरदास कृत "गुण आगिमि" के अन्त मे "लिखतं लालस पीरदान, वाचे जिरणनु राम राम छ । संवत् १७९२ पोप बद ५"
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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