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________________ [ ५ ] ७- ईसरदास कृत “देवीयारण" के अन्त मे "लिखतं लालस पीरदान" ८-बार आसोजी कृत "निरंजन प्राण" के अन्त मे "लिखतं लालस पीरदान " इनके अतिरिक्त इस गुटके मे इनकी एवं ईसरदास की कई और रचनाएं भी यद्यपि इनके हाथ की लिखी हुई है पर उनके ग्रन्त मे लेखक का नाम नही दिया गया है । साइया झूले का रुकमरिण हरण, माधवदास का रामरासो, गज माख नीमाणी, और छभा पर्व (स्वयं रचित) पीरदान के पुत्र हरिदास के हाथ का लिखा हुआ है । "गुण राम कीला" को हरिदास के वाचनार्थ जोधपुर मे खरतर गच्छके भावहर्षीय जिनचन्द्रसूरि के शिष्य पं० शिवचन्द ने लिखा है । प्रस्तुत ग्रन्थावली मे ( १ ) " नारायण नेह" (२) "परमेसर पुराण" (३) "हिंगलाज रामो " ( ४ ) अलख ग्राराध, " (५) "अजंपा जाप" (६) "ज्ञान चरित", और ( ७ ) "पातिक पहार" इन सात ग्रन्थो, और ३० डिंगल गीतो को प्रकाशित किया जा रहा है । ये सभी रचनाएं प्राय भक्ति सवधी है । राम, कृष्ण, हिंगलाज देवी, आदि की स्तुति इनमे प्रधान रूप से है ही पर "परमेसर पुराण" मे अनेक भक्तो का भी उल्लेख है जिससे राजस्थान के उल्लेखनीय भक्त जनो की अच्छी जानकारी मिल जाती है । इनमे से कई तो प्रसिद्ध है पर कईयो के सवध मे अभी विशेप जानकारी प्राप्त करना अपेक्षित है । विद्वानो का ध्यान मैं इस ओर आकर्षित करता हूँ । इन रचनाओ मे दूहा, चौपई, गाहा, चौसर, मोतीदाम, कवित्त, भुजगी, पद्धरी, झम्पाताली और डिंगल गीतो के श्रट्टताको, साणोर आदि कई छन्दो का प्रयोग हुआ है । 'परमेसर पुराण' केवल दोहो मे है । सवसे वडी रचना 'ज्ञान चरित' मे 'कवित्त' छद की प्रधानता है । अभी पीरदान लालस जैसे और भी अनेक चारण कवियो की रचनाओ का संग्रह एव प्रकाशन करना अपेक्षित है । उनमे से श्री दुरसाजी
SR No.010757
Book TitlePirdan Lalas Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year
Total Pages247
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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