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________________ ४० वीरवांण नीसांणी साकुर अर पांडवन पुररा करवाया। वाप बाप विरदाव दे मुष वाग' चढ़ाया ।। मदु सेर जवाद पर पाषर पटकाया। सापत कर सव सोवनी अब वाहिर लाया ।। वगतर कुंठा बीडीया सिर टोप सुहाया। सार छतीसुं साझ सव इंम मदु प्राया ।। पांडव लाय जवाद पर असवारं कराया। जैतलसु देपालदे सझ सुभट सुहाया । मिलीया अव सारा मरद अंस पीठां आया । । चढीया सामत सुरमा मुछां वल घलै ।। तरगस भीडै तेजमै हाथां पग झलै । धनमै घेरा धांडमै कर · षवरां किलै ।। चढतां हैसु धीरनै घर राष्या दलै ॥ दहा जेज न कीधी जोइयां, घेरी जायर गाय । सुण बीरम ग्वालां सवद, लागी उरमै लाय ।। दस हजार जोया दुझल, कठठ साररा कोट । ढाळां जंगा चालणा, ठाला करै न ठोट । . १४५ १४६ नीसांणी आप गवालां पापीयो गायां घेरांणी.। अण भंग कोपे ऊठीयो पप चाढण पांणी ॥ ढोल वधाई वाजीया . वीरां रसवांणी । पाया सज भड एकठा नह जेज करांणी.।।
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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