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________________ वीरवाण ३७ ५६ देष दरगह पीरदी आया सलषांणा । वीरम न्याव नह लही अनीयाव सुहाणा ॥ इम मुंजावर बोलीया चढीया मत आणा। पतसाही पाळा चले क्या रावल रांणा ।। है वे हिंदु समझ मन फरहास पीरांणा ।। • दरषत हरीयल पीरदां विच दरगह सोवै । जोइया देस वीदेसमै जिण सांमो जोवै ।। पीर प्रचाइळ प्रगट दुष दालद पौवै । राम रहिम जु एक हैं कबु दोय न होवै ॥ . वीर फरासा वाढ़ बाढ़ वषाती ढोवै । के मुलां तागा करै हुब हाका होवै ।। बाढ फरांसां वीरमै घड़ ढोल मंडाया। गुणपंत ढोली गेरका चढ कोट बजाया । वारै कोसां बैंब देवो ढोल सुणाया। सो सुणीया सीहांणमै डर इचरज प्रायां ॥ ऐसा जोगी उमदा एथी कुण लाया । सिंध दिली सुलतान दळ वीरम पर पाया ।। दसुं सहंसां हुता दलो चित सेस चढ़ाया । जांवा वीरम. जीवतां तो जांणे आया ।। इम दलो गल. उचरै भल सजो भाया । वगतर कुंठा वीड़तां मुंजावर आया । दरगासु मुंजावरां, कयो दलानै आय । वो फरहास ज पीररो, वीरम लीयो वडाय । फरहासांरा फाचरा, सबदा घुरै स तोल । . वैरै लष वजाड़ीया ध्रीगैः ध्रीगै ढोल ॥ १३८
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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