SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 60
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वीरवांणं . . सब वेठां सीहांणमै जोइये कुल जाया । . सठ लेवण सीहांणकुं हैरा लगवाया ।। जावो जावो कह जोइयां एथी मत आया । पटकी जोयां पागड़ी सिर टोपी छाया ।। जोरु छोरु छोड़ कर वनवास वसाया। देषे सब निजरां दलो समझै मन माया ॥ दिन कितरा टाळे दलो अंत विरम आया । मेतो मारा आज लग स वचन निभाया । कांमेती कह कर इसी आतुर उठ पाया। मांगलीयांणी मोट मन भीतर बुलवाया । भोजायां भाया कंनै मुजरा मैलाया। दलै अरु देपाळकुं ऐ जाब कैवाया ।। पालो रुष न काटवै जो छांह. अछांह्या । मोरो पीहर थां घरे थे सांतु भाया । मे घर छाडे मांहरा घर थारै आया ।। १३६ दूहा कथन दलाहु ता कया, पाछे आय प्रधान । बाइ समझायो बोहत, कमंद न दीनो कान ।। नीसाणी . · मांगलीयांणी सांषली परचावै पीवै । जोइया तो जळ वारता तो दीठां जीवै ।। धर आधी दी धरपती क्युं कांकल कीवै । हक राठोहड हलणा थट चंगा थीवै ।। सुष छोड़े दुप सापरत अपजस किंम लीवै ।। वीरम चढ़ीया वीरवर कीधा घमसांणा। तुरंगां. वोम धड़क धर मेले डमरांणा ॥ ५८
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy