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________________ २७ ११० वीरवांण जलम्या तीन जवादरै, जके जोड सपतास । पमंगा सिरै पडाहीयो, हीरा लोही हुबास । हैंसु चढे पड़ाहीये, मादु चढे .. जवाद । हीरा ले धीरो चढे, वीरम चढे समाध ।। पैलै ठाण' समाधरै, जलमी सींचाणीह । वीरम गोगेने दीवी,.. जग. सारै जाणीह ॥... ११२ मालावत जगमालरै, उरमैं पंठक अपार । जद केइ काढ्या आदमी, वीरम कनँ विचारं ॥ ११३ ऐ आया वीरम कन, रचै सला दिन रात । जोयांसु जुध जुडणरी, वीरम आगळ बात ॥ ११४ सो पग वगां सूरमा, वीरमरा जुधवार । मुडवै नह पाछा मरद, जुडीयां रिण जोधार ॥ पीड लीधां सुरापणो, विध इण वनो उजीर । जामै छल धणीयां जिसा, आगे इसा उजीर । वीर चढे नित वीरमा, धर लेंवण चित धाव । घण मोडण जोयां घडा, वन रूठो वनराव ॥ ११७ नीसांणी . : . दीठी वीरम हेक दिन पीती सर पांणी ।.. वीरमरै सब सांढीयां निजरां गुजराणी ॥ वीरम चित विटाळिया ऊंधी मत, आणी । सात. हजारु सांढीयां दिन हेक दगांणी ।। आयर जिणरी. अोठीयां कल कुकरांणी ॥ .. दस हजार चढीया दुझळ रज गैण ढकाणी । मारे वीरम . मेटसां करसां तुरकांणी॥ .
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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