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________________ ३६ वीरवांण श्रा काढे अोठी कोटसु भीम जेहा भाई । सला दिराई सांपला जोइयां घर जाई ।। श्रीगे भीगे ढोलकी साहि वाण सुणाई । दस हजार चढीया दुझल मिल छव ही भाई ।। चढ घोडां भड़ चालीया रज गैण ढकाया । मिलीया भारत जांगळ अध रतरा पाया ।। मीर केइ रिण मारीया मदु मन चाया। काट कटकां काढ़ीया पळ पंग पपाया ।। हुर अपछर हरप अत सूरां वर पाया। ग्रीधण साकण जोगणी पळ पूरा पाया ।। वीरम छोडे जांगलु साहीयांण सिधाया । सज जुध जोया सांपला वीरम वचवाया ।। जद पीछा चढ पातसा धर अपणी धाया । दलजी कोसां दोय तक सामे ले पाया ।। सजे उमंग साहिवाणमै वीरम वधवाया । दीध बधाई राइकां जद गोगा जाया ।। एक महीनो पाठ दिन थठ गोठां थाया। वैरो लष रहवास कुंदलजी दरघाया ।। वारा गाम ज वगसीया चित वीरम चाया। डांण वले उचका दिया आधा अपणाया । धाडै धन धुर माझीया मांझी पैमाया । वीरमकु देवण वळे लष वेरै लाया ।। ४० ४० . दूहा लष वैरे पैदा सलष, सषरी आवै साष । साषांरा उपजै सदा, लेषे रिपीया लाष । पूजै हरीयल पीरकुं, जोइया भड सव साथ । वीरमरो देष बदन, जीवै जोया जात ॥ १०८ १०६
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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