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________________ .. वीरवांण वीरमसुं जुध बाजकै कुण कुसळ जावै । दळ बळसुं जगमालदे पोह बाज न पावै ॥ डेरा समीयांए दीया वीरम चेतावै । मेळ दिलीसु मेलीयो तुरकां तेडावै ।। चेतवीयोड़ो सिंह थळ हात न आवै । वीरम जिसड़ा वीरवर ठहके मठ गावै ॥ नगर धणी लिष नीतसुं पठ अपर पांन । माल कहै बैमारका मुझ वात न मान ।। जोथ केरै जगमालदे छळ घातां छाने । मेळ दिलीसुं मेलीयो तेड़े कां तुरकांनै ॥ वीरम तोसु वाजसी करसी धर कान । काढ कबीला छांन है चढ़ वीरम छान । जाय कबीला जांगळु घोड़ा घोडाने । रेवंत मांण करावरी कर लीधी कानें । जांण सीचांणे झड़फीया हद ठाळ हुलाने ॥ लीधा अस फिर लाडणु वीरम वीरथे । आय पोहता डांवरै सब मोयल सथे । वीरमको डंड पकड़ीयो भल तरगस भथे । चाढ चिमंठी चौट दै असवार उलथे ।। क्या निसांणी तीरदी मीरजादा कथे । जांण कबुतर छुट गया हुव लथो बथे ॥ . ऊंटां तीसां ऊपरै असरपीयां आवै । सो मेली , पतसाहके जोगणपुर जावै ।। पैसकसी. पतसहिरै पतसाह पुगावै । मिलीया वीरम मारगां अस लीधां आवै । सब मोहरां पतसाहरी लुटे लीवरावै । सांमल हुय सारा सुभट मीया. फरमावै ।। ३२ ३३
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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