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________________ वीरवाण निसांणी . भातीजो वीरम तणो मालारो बेटो। जुध चढीयो जगमाल दे कर टोप लपेटो ।। वगतर कुंठा वीडीया धुब पोरस धेटो । सिरपर वांध्यो सेहरो जस विरदा जेटो । चंवरी रिण कामण चमु फेरे दे फेटो। झुळलीयां संग जानीया हतलेवे पेटो । सावो अध रत साजीयो भारतमें भेटो । झांपां भरे कवलीयो रुकां बळ रेटो । जिण विध भेटे चालै जो समै भूतावळ भेटो ।। कुण जाएगै वावै कवण पावे नह पेटो ॥ पाडे दळ पतसाहरा षीमे कुण थेटो ॥ १६ बटका उडगा वगतरां झटकां कर झाडै । पतसाहां दळ पाधरै राठौड़ रमाडै ।। घोड़ा आगळं गैबका बाजा बजवाई । तेग बहै भूतां तणी राठौड़ अगाडै ।। मारै दळ मुगलांणका झाटां षग झांडै । धड़ लुटता दीस धरा मसतक भमाडै । पग पग नैजा पाडीया पग पग ढल पाई। अबकै ओ मोटो परव महमंद लीलाई ॥ गीदोली बांधी गळे जगमाल अनाडै । जको न देवै जीवतो कुण मार ले राई । १७ मैहमंद मांडळ पातसा गुजरात धरांरा । एलै फौजां अवीया लघु अठलारा ।। दीदो घेरो दोळीयां वीरम पुरारा। मैवै रावळ मालदे अोपण अवतारा ।।
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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