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________________ वीरवाण हजरत बेहुं भेळा हुआ पूरब पिछमांणा। है बेहुं घर मोटा बोहत छोटा रहमांणा ॥ पोज गमावण षूनीयां जोडै जमराणा । रीस करै ज्यां रोळवै वोळे महरांणा ।। कवण षून जांरो करै हींदु तुरकाणा ।. जलल करी जगमाल दे करडी कमरांणा ।। ओरत आणी एकरी एकण धी आणा । सझ बेहुं आया पातसा घुरता नीसांणा ।। पेड़ तणा वला पोसणा पलट लंक पाणा । प्रारंभ कीधा ऐहड़ा सज बेहुं सुरतांणा ॥ पंचिया दोळा घेडरै तंबू तूरकांणा । घेरो लागो भीरडगढ़ डेरा दरसांणा ।। रावजी मालदेजीरो पैलो झगडो लिपंते : ... दूहा .. घेरो लागो भीरड़गढ, उडण लागो सोर । छूटण लागी नाळीयां, बोलण लागा मोर ।। . . ३१ सतगुरसुं कहियो बचन, विदा हुवंता वांण । भिलै नहीं गढ भीरड़रो, मलीनाथरो मांण ।। ३२ निसांणी इष घडा असुराणरी चित रोस चढाया । जागवीया अह रावकै जमराव षिजाया ।। धोम झलाहळ धेषमै उठं बाहर आया। मूछ धरै कर मालदे सझ कंवर सवाया ।। जरद कसै भड़ जोरवर अंग रोस न माया । कमधज उठियो धूप कर केकाण कसाया ।। .
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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