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________________ वीरवाण राज गींदोली राषीयां, मरजांसो माहाराज ।। जगो महा भड़ जोरवर, भीरड़ कोट कुळ भांण। महमद गोरी साहरी, कंमध न मानी कांण ।। वैर सतावी वालीयो, सत्रवां उर साल। जिणरै उछवरो जवर, मेळो रचियो माल ।। मैले रावल मालरै, आया इसड़ा पीर । जांणक चौसठ जोगणी संग लै बावन वीर ।। अाया कितायक अवलिया, वड़ा बड़ा दरवेस । पाचांही पंडवां जिसा, उमियां सेत महेस ।। जैसळ नै तोली जिसा, सबै प्रावीया साथ । अाइ तषत वैठाविया, निकलंक हुअा सुनाथ ।। दरसण पाया देवता, सिध साधक ले साथ। . चौरासी पीरां सहत, नवही आया नाथ ।। राणी रूपादे जिसि, सापूतं जिका सकत । धारु जिसड़ा उण घरे, भव भव तणा भगत ।। मेलै रावळ मालर, रचीयौ सतजुग राह । वेरो देवण भीरड़ गढ, चढ़ पाया पतसाह ।। नीसांणी दिलीसुं चढी पाया दुझल गोरी सुलताणा । मांडलगढ मैहमंद चढ, पांमद पुरसाणा ।। सांतु लोपी सायरा मिलपा जजलांणा । इण विध मैहमंद अावीयो सझ दल घमसांणा ।।
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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