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________________ वीरवांण भुजं पारथ क्रन भीम सा ऐहड़ा आ पाणी। पाव धाव पंष राव सा अस पंथा पाणी ।। सुभटां वीसी सातसुं चढीयो मालाणी । पूगा दिना दसमें प्रथम मांडलगढ आणी ।। कहियो मै बंदगी करां पागल उचराणी । डेरो कर वेरो दियो जगमाल मालाणी ॥ तीजणीयां सब आवजो पूजण पीरांणी । कल मैहमदरै इदरौ मेळो मंडवाणी ।। आय हुई सब एकठी कथ जेम कहाणी । वेलि बा पुकारियां जगमल मालांणी ।। ऐ तीजणीयां एकठी आई आपांणी । सजो सुभटां सूरमां किम जेज करांणी ॥ श्रा कहतां भड़ ऊठीया वीरा दवी रांणी। ज्यु मृगं डार ज ऊपरै चीता मलफांणी ।। तुरंगा चाढी तीजण्यां हुब कुक हुवांणी । सापूत बेटी साहरी जगमालै जांणी ।। गींदोली करसुं ग्रहे हय पीठी चढांणी। लेगो ज्युहीं लावीयो जगमाल मालाणी ।। चावळ कमधां चाढीयां जसडा कव जांणी। कूक गई महमंदके जग सारै जांणी। इळ मीणीयर कर ऊजळो तीजणीयां प्रांणी ।। दी छाने जगमालनै, मैंमदसा फ़रमास । दीनी गींदोली देऊ, जूनागढरो वास ॥. हुँ मैमदसा वेगडो, गोरीसाह दुझाल । २०. .........। ___ २१
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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