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________________ वीरवाण १२ १३ पड़ मांहि नाहीं पड़े, घाट ईसै घोड़ाह । भड़ चढीया अत सोभ दै, ऐस आ घोडाह ॥ नग धर मीणीय नीपजै, कोड़ीधर केकाण । मैहमंद लेवण मेलीयो, मरवण पान पठाण ॥ सिणलागर सागर समै, भरीया नीर तळाव। किलमां प्राय डेरा किया, सोदागरां सुभाव ॥ तीजणियां दिन तीजरै, सजे साज सिंणगार। हीडे आई हीडवां, अपछररै उणियार ।। अरक तणो पण प्राथमण, मेह अंधारी रात । तीजणीयां लेगा तुरक, घोड़ां ऊपर घात ।। बोले बांमण बाणियां, मालहंत कह वात । तीज तणे मग रैत दिन, सुत मम लेगा सात ।। जिण कारण मेले जगो, छाने हेरा च्यार । मांडळरी धर मेलीया, वालण वैर विचार ॥ कंवरहुंत हेरु कहै, धुर सुण धणीयांह । मांडळपुर महमंद घर, बैठी तीजणीयांह ।। मैहमँदसारी डीकरी, गींदोलीरे साथ । मैह जीता आवै मुकर, जमैरातरी जात ।। कंवरजी जगमालजी मांडवैसु तीजणीयां लावण नै ___ वा गादोली लाया वो समो लिपंते नोसांणी कथ हेरुकी सुण कंवर कमरां कसवाणी। भड चंगा लीधा भला तंग पैगां ताणी ।। १६
SR No.010752
Book TitleVeervaan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRani Lakshmikumari Chundavat
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages205
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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