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________________ मानव जाति के पथ-दर्शक श्री हेलमुथ गेटमर, भारत में पश्चिमी जर्मनी के प्रधान व्यापार दूत प्राचार्यश्री तुलसी के धवल समारोह के अवसर पर मुझे कुछ वर्ष पहले माटुंगा (बम्बई) में आयोजित जैन समाज के धार्मिक समारोह की याद हो पाती है, जो साध्वीश्री गोरजी के तत्वावधान में हुआ था और उसमें मैं प्रथम बार जनों के सम्पर्क में पाया था। मैं उस समारोह से अत्यन्त प्रभावित हुआ। मैं श्रावक और श्राविकामों के बीच बैठा हुआ था और मैंने साध्वीजी के मुख से धर्म-शास्त्रों की व्याख्याएं सुनीं । उन्होंने काम, क्रोध, मद लोभ, हिंसा, दभ, असत्य, चोरी, अहंकार और भौतिकवाद के विरुद्ध प्रवचन दिया । जब उन्होंने कहा कि अहिसा परम धर्म है, सबसे मुख्य विधान और सर्वोत्तम गुण है, तो मुझे उनका यह कथन बहुत सुन्दर लगा। मैं साध्वीजी के भव्य आध्यात्मिक और शान्त रूप को कभी विस्मत नहीं कर सकेंगा। इस अवसर पर जैन धर्म. उसके सिद्धान्तों, सम्यग् दर्शन, सम्यग् ज्ञान और सम्यग् चरित्र की विधियों और अणुव्रत-अान्दोलन का मुझ पर गहरा और स्थायी असर पड़ा और मैं उनका प्रशंसक बन गया। मेरी कामना है कि जैन श्वेताम्बर तेरा पंथ के नवें प्राचार्य और अणुव्रत-पान्दोलन के प्रणेता आचार्यश्री तुलसी दीर्घायु हों और मानव-जाति का पथ-प्रदर्शन करते रहें। मानवता का कल्याण उम्ल्यू फोन पोखाम्मेर बम्बई में जर्मनी के भूतपूर्व प्रधान व्यापार दूत जब मैंने भारतीय धर्मो का अध्ययन शुरू किया तो मै विशेषतः जैन धर्म मे अत्यन्त प्रभावित हुआ । वह मनुष्य का उसके अन्तर में स्थित नैतिक व एकमात्र देवीतत्त्व के साथ सीधा सम्बन्ध जोड़ता है। मै जनों की कुछ धार्मिक सभाओं में सम्मिलित हुआ है और मुझे यह जान कर प्रसन्नता हई कि वे नैतिकता को सर्वोपरि महत्त्व देते है । वे हमको शिक्षा देते हैं कि केबल श्रोता बन कर मत रहो, अपितु पाचरण भी करो; सक्रिय मनुष्य बनो। इसका यह अर्थ हा कि प्रत्येक सत्संग का परिणाम व्रत के रूप में पाना चाहिए। प्राचार्यश्री तुलसी मुझे विशिष्ट पुरुष प्रतीत हुए, कारण वह अपने सम्प्रदाय के अनुयायियों को ही नहीं, अपितु सभी को नैतिक सिद्धान्तों के अनुसार जीवन विताने की प्रेरणा देते है। मेरी हार्दिक कामना है कि वह अपने उच्च लक्ष्य को सिद्ध करने में सफल होंगे, जिसके फलस्वरूप न केवल भारत का अपितु समस्त मानवता का कल्याण होगा।
SR No.010719
Book TitleAacharya Shri Tulsi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Dhaval Samaroh Samiti
PublisherAcharya Tulsi Dhaval Samaroh Samiti
Publication Year
Total Pages303
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Literature, M000, & M015
File Size15 MB
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