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________________ नैतिक जागरण का उन्मुक्त द्वार ___डा. लुई रेनु, एम० ए०, पी-एच. डी. . अध्यक्ष, भारतीय विद्याध्ययम-विभाग, संस्कृत-प्राध्यापक, पेरिस विश्वविद्यालय प्राचार्यश्री तुलसी तेरापंथ सम्प्रदाय के नवम अधिशास्ता हैं,जिनसे मिलने का मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ है । वे एक आकर्षक व्यक्तित्व वाले हैं। वे युवक हैं जिनकी शारीरिक आकृति सुन्दर है। उनकी आँखों में विशेष रूप से आकर्षण है, जिसका किसी भी दर्शक के हृदय पर अनायास ही गहरा असर पड़ता है । वे संस्कृत-साहित्य के अधिकारी विद्वान् है और विशिष्ट कवि भी। मबसे अधिक सब प्राणियों के प्रति उनकी दयालुता और जो सहिष्णुता है, वह बड़ी उच्चकोटि की है। उनके साढ़े छ: सौ के करीब माध-साध्वियाँ शिष्य हैं । उनके अनुयायी पाँच लाख के करीब हैं, जो हिन्दुस्तान के भिन्नभिन्न प्रान्तों में रहते हैं। मुझे ज्ञात है कि भारतीय जनता की प्रवृत्ति बहुत धार्मिक है। मैंने इस तथ्य को कुमारी अन्तरीप मे दरभंगा तक के अपने दौरे में बहुधा अनुभव किया है। किन्तु धर्म के प्रति जितनी शुद्ध एवं मच्ची श्रद्धा मुझे तेरापंथ संघ में प्रतीत हुई, उतनी अन्यत्र कहीं भी नहीं। तेरापंथ संघ के लिए यह बड़े सौभाग्य का विषय है कि उनकी प्राचार्यश्री तुलसी जैसे महान व्यक्ति आचार्य के रूप में प्राप्त हए हैं। मैं सोचता है कि उनके कारण ही यह संघ अपना व्यापक विकास करेगा तथा अपनी महत्ता के साथ सारे ससार में प्रसार पायेगा। प्राचार्यश्री तुलसी का धवल ममारोह उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करने का अवसर देता है। आधुनिक भारत के बे एक अत्यन्त प्रमुख महापुरुप है और इस सम्मान के पूर्णतया अधिकारी है। उन्होंने न केवल तेरापंथ समाज का सही मार्ग-दर्शन करके पूर्व प्राचार्य के काम को प्रभावशाली रूप से आगे बढ़ाया है, प्राचीन शास्त्रों के अनुसार यह सम्यग् दर्शन, मम्यग ज्ञान और सम्यग् चरित्र का कार्यक्रम है। बल्कि नैतिक जागरण का द्वार उन्मुक्त कर दिया है। यह कार्यक्रम हमारी प्राज की प्रशान्त और त्रस्त दुनिया में विवेक और शान्ति का मबल स्तम्भ है।
SR No.010719
Book TitleAacharya Shri Tulsi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Dhaval Samaroh Samiti
PublisherAcharya Tulsi Dhaval Samaroh Samiti
Publication Year
Total Pages303
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Literature, M000, & M015
File Size15 MB
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