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________________ जागृत भारत का अभिनन्दन ! अणुविस्फोटों के इस युग में अणुव्रत ही संबल मानव का, व्रत-निष्ठा के बिना विफल है अनयंत्रित भुजबल मानव का ! संघबद्ध स्वार्थों के तम में अणुव्रत ही प्रत्यूष-किरण-कण, महाज्योति उतरेगी भू पर कभी अणुवती के ही कारण ! सदा सुभग लघु लघु सुन्दर की महिमा से ही मंडित है जग, नापेंगे कल दिग-दिगन्त भी अणुव्रत के कोमल वामनपग ! अणु की लघिमा शक्ति करेगी देशांतर का सहज संचरण, भूमिकिरण के किरण-बाण से होगा ऊर्ध्व बिन्दु का वेधन ! द्यावा की विराट शोभा ही अणुव्रत की दुर्वा है भू पर, दूर्वा का अतिशय लघु तृण ही मुक्ति-नीड़ में सबसे ऊपर ! अणुव्रत के प्राचार्य प्रवर, जो शील विनय संयम के दानी, व्यक्ति व्यक्ति का शुभ्र आचरण बन जाती है जिनकी वाणी ! अणुव्रत के महिमा-गायन में है उन श्री तुलसी का वंदन, अणुव्रत के अभिनन्दन में है जागृत भारत का अभिनन्दन ! -नरेन्द्र शर्मा
SR No.010719
Book TitleAacharya Shri Tulsi Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Dhaval Samaroh Samiti
PublisherAcharya Tulsi Dhaval Samaroh Samiti
Publication Year
Total Pages303
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Biography, Literature, M000, & M015
File Size15 MB
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