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________________ ( १७७ ) रावण मेहशस्त्र नई मूकई, लखमण पवण उडाडी फूकई॥३॥ रावण अन्धकार बिकुरवई, लखमण सूरिज तेज सुं हरवइ ॥४॥ रावण साप मुँको वीहावई, लखमण गुरुड मुंकी नइ हरावई ॥५॥ इण परि खेद खिन्न घणो कीधो, लखमण रावण नई दुख दीधो ।।६।। संनिधि करिवा तिण प्रस्तावड, देवी बहरूपिणी तिहां आवइ ।। ७ ॥ बहुरूपिणी परभाव विशेपइ, लखमण रण माहे इम देखइ ।। ८ ॥ सुन्दर मुकुट रतन करि मंडित, रावण सीस पड्या अति खण्डित ।।६।। केऊर वीर वलयकरी सुन्दर, मणिमय मुद्रिका श्रेणि मनोहर ।।१०।। एहवी वीस भुजा पडि दीखइ, लखमण जाणइ मुज्म जगीसइ ॥१॥ लखमण आपणई चित्त विचास्यो, मई तो रावण राक्षस मास्यो ।।१२।। तेहवई रावण ऊठी आयो, ततखिण बेटि पडीनइ धायो ।॥ १३ ॥ अपणा सहस भुजादण्ड कीधा, भुज-मुज सहस शस्त्र तिण लीधा।।१४।। तरुयारि तीर भाला अणीयाला, तोमर चक्र मोगर विकराला ।।१५।। रावण शस्त्र मुकइ समकालइ, लखमण आवता सगला टालइ ॥ १६ ॥ लंकानाथ चड्यो अहंकारई, आपणो चक्ररतन चीतारई ॥ १७ ॥ ततखिण चक्र आवी करि बइठो, रावण लोचन अमीय पइठो ॥ १८॥ ते चक्र सहस आरे करी सोहइ, मनोहर मोती माला मोहइ ।। १६ ।। ते तउ चक्र रतनमय दीपई, ते थकां वयरी कोइ न जीपई ॥२०॥ रावण चक्र मुफ्यो तिण वेला, लखमण सुभट कीया सहु भेला ||२शा राघव सुग्रीव हनुमंत वीरा, भामंडल नृप साहस धीरा ॥ २२ ॥ तिण मिली रावण हथियार छेद्या, सुभटे साम्हा आवता भेद्या ।।२।। तो पिण चक्र वहीनइ आयो, लखमण कर अपरि ते ठायो ।। २४ ।।
SR No.010706
Book TitleSitaram Chaupai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1952
Total Pages445
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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