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________________ [ १३ ] संख्या कृति नाम गाथा आदि पद पृष्ठाक २३७ जिससुखसूरि गीत ७ सरस वखाण सुगुरू तणो २५० २३८ , छप्पय १ करण अधिक कल्याण २३६ जिनभक्तिसूरि गीत ६ जिनभक्ति जतीसर वन्दो २५२ २४० श्रावक करणी २५ श्री जिन शासन सेहरो २५२ शास्त्रीय विचार स्तवन संग्रह २४३ पैतालीस आगमावीर स्त० २८ देवा नापिण जेह छ देव २५५ २४२ जिन गणधर साधु साध्वी सख्या स्तवन १६ आदीसर पहिलो अरिहत' २५८ २४३ चौबीस जिनअतरकालस्त०२६ पच परमेष्टि मन शुद्ध २४४ ६८ भेद अल्लाबहुत्व स्त० २२ वीर जिणेश्वर वदिये २४५ चौवीस देडक स्त० ३३ पूर मनोरथ पास जिनेसर २७० २४६ समवशरण स्त. २८ श्री जिन गासन सेहरो २७४ २४७ चौदह गणस्थानक स्त० ३४ सुमति जिणद सुमति दातार २७८ २४८ चौरासी आगातना स्त० १८ जय जय जिण पास जगत्र धणी २८४ २४६ अट्ठावीस लब्धि स्त० २५ प्रणमु प्रथम जिणेसरू २८६ २५० आलोयणा स्त० ३० ए धन शासन वीर जिनवरतणो २६० २५१ वीस विहरमान स्त० २६ वदु मन सुध बहरतमाण २६५ २५२ अष्ट भयनिवारण गौडी २६ सरस वचन दे सरसती ३०० २५३ श्री जिनचद्रसूरि अ० ध्व० १ रतन पाट प्रतपं रतन 30६ २५४ उपकार ध्रुपद करणी पर उपगार की ३०६ - २५५ सप्ताक्षरी कवित्त ह गिहीकेकि के अगिहकेकि के ३०७ २६१ २६६
SR No.010705
Book TitleDharmvarddhan Granthavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta
PublisherSadul Rajasthani Research Institute Bikaner
Publication Year1950
Total Pages478
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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