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________________ प्रस्तावना ग्रन्थकी उपलब्धि और परिचय अध्यात्मके रहस्यको लिए हुए योग-विषयक यह अन्य विद्वद्वर पंडित आशाधरजीकी कृति है। यह ग्रन्थ अभी तक उपलब्ध नहीं था । इसकी मात्र सूचना ही अनगार-धर्मामृतकी टीका-प्रशस्तिके निम्न वाक्य-द्वारा मिलती थी: आदेशात् पितुरध्यात्म-रहस्य नाम या व्यधात् । शास्त्रं प्रसन्न-गम्भीरं प्रियमारब्धयोगिनाम् ॥ इस वाक्यम बतलाया है कि 'अध्यात्म-रहस्य' नामका यह शास्त्र पिताके आदेशसे रचा गया है। साथ ही यह भी प्रकट किया है कि 'यह शास्त्र प्रसन्न, गम्भीर तथा आरब्ध-योगियोंके लिये प्रिय वस्तु है ।' योग-विषयसे सम्बन्ध रखनेके कारण इसका दूसरा नाम 'योगोद्दीपन' भी है, जिसका उल्लेख हालमें खोजी गई ग्रन्थ-प्रतिके अन्तमें निम्न प्रकारसे पाया जाता है: * ५० नाथूरामजी प्रेमीने अक्तूबर १९५६ में प्रकाशिव 'जैन साहित्य और इतिहास' में भी इस ग्रन्थको 'अप्राप्य' लिखा है ।
SR No.010649
Book TitleAdhyatma Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJugalkishor Mukhtar
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1957
Total Pages137
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Religion
File Size4 MB
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