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धन्यवाद इस 'अध्यात्म-रहस्य' शास्त्र के प्रकाशनमें निम्न सजनोंने बड़ी खुशीसे अपना आर्थिक सहयोग प्रदान किया है
और उसके द्वारा एक लुप्तप्राय महत्वपूर्ण ग्रन्थके शीघ्र उद्धारमें वीरसेवामन्दिरका हाथ बटाया है । इस उदारता
और श्रुतसेवाके लिये ये सभी सजन धन्यवादके पात्र हैं। संस्थाकी ओरसे ग्रंथकी २०० प्रतियाँ दातार महानुभावोंको यथेच्छ वितरणके लिये भेंट की गई हैं और.१०० प्रतियाँ अन्य अध्यात्मप्रेमी सजनों तथा मुमुचुजनोंको भेंट की जाएँगी:२५१) ला० मक्खनलालनी ठेकेदार,७ दरियागंज, दिल्ली । १०१) वा० लालचन्दजी जैन, एडवोकेट, रोहतक । १०१) वा० रघुवरदयालजी जैन एम.ए., करौलबाग, दिल्ली
-प्रकाशक
सन्मति प्रेस, २३० गली कुन्जस, दरीबा कलां, देहली।