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समर्पण
स्व-पर-भेद-विज्ञानमें अनुरक्त, हिंसादिक पापोंसे विरक्त, इन्द्रिय-विषयोंमें अनासक्त, राग-द्वेषादि-शत्रुओंके
उन्मूलनमें उद्युक्त, सदाचारकी भावनाओंसे ओत-प्रोत
__ एवं
आत्म-विकासमें सदा दत्त-चित्त, माननीय मुमुक्षु-जनोंको
सादर समर्पित