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________________ ७२ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात थांन इनाइत करां ।" पछै इणे अरज कीवी-"मांहरो उतन जेसळमेर पावां ।" तरै पातसाहजी अरज मानी। जेसळमेररी तसलीम कराई । दीवांण, बगसियांनूं फुरमायो-"फुरमांण कर दो।" सु रावळ . . साथै महिपो जैतुंग कोल्हारो बेटो साथै हुतो, तिणरै पईसा था', सु उणरा पईसा खरच-तालीको करायो । और ही इण पईसो-टको सारां नेगियां-लागदारांनूं दियो । सारी सिरकाररो लोग राजी कियो, नै एक हलालखोर खासानूं क्युं न दियो हुतो"; तिण एक वार घात घाती थी11; पछै उणनं ही राजी कियो । पछै पातसाही दरगाहसं विदा हुय चालिया। जेसळमेरथा'4 कोस ३ वासणपीरै आगै जेसळमेरथा कोस ३ राजबाई कनै गया, राजबाईरी तळाई वासणपी नै. जेसळमेर विचमें छ, सु तठे आया। सु उठे कोई कसवण हुवो", तरै क्युं पग ठोभिया", उठे उतरिया, सवणी बुलायो, तरै सवणी कह्यो-“एक आदमी अटै वळ दियो जोईजें ।" तरै रावळ साथै प्रादपी १२ साख-साखरा था 1, नै एक रतनूं पासराव वेटै सूधो थो; तरै बारठ विचारियो, विचारनै कह्यौ-"सिगळीही साखरो एकूको छ, नै म्हे दोय जणा छां, सु.म्हां मांहिलो एक जणो वळ चाडो ।" इसड़ो विचार करै छै", तिस. वांसाथी मेवड़ो एक फुरमांण ले आयो । तरै इणे जांणियो-"जु प्रो वांसाथी आयो सु भलो ____ I हम तुमको इनायत करें। 2 इन्होंने ! 3 हमारा देश जैसलमेर हमें मिले । .... 4 जैसलमेरका (मान्यताका) मुजरा करवाया। 5 फरमान लिख दो। 6 कोल्हाका वेटा महिपा जैतुंग रावलके साथमें था। 7 जिसके पास रुपये-पैसे थे। 8 उसके पैसोंसे राज्यतसलीम संबंधी जो खर्चा किया जाता था सो करवाया। 9 सभी नेगियों और लगानदारोंको ... भी नेग और लगान इसीने दिया। 10, II वादशाहका एक खासा हलालखोर था उसे कुछ ... नहीं दिया था, क्योंकि उसने एक बार विश्वासघात किया था। 12 लेकिन पीछे उसको .. भी दे-दिवा कर राजी कर दिया। 13 पीछे वादशाही दरवारसे याज्ञा प्राप्त कर रवाना ... हुआ। 14 जैसलमेरसे 1 1 5 वहां आये। 16 सो वहां कोई अपशकुन हुआ। 17,18 तव वहां : कुछ देर खड़े रहे और फिर उतर गये। 19 शकुनीको बुलाया। 20 एक आदमीकी यहां . . . वलि देनी चाहिये। 21 उस समय रावलके साथ भिन्न-भिन्न शाखामोंके १२. आदमी थे। 22 केवल रतनू शाखाका एक चारण आसराव अपने पुत्रसहित था। 23 सभी शाखाओंका एक-एक व्यक्ति है। 24 और हम एक शाखाके दो व्यक्ति हैं। 25 हमारेमें से एक व्यक्ति- . . की बलि दे दो। 26,27 ऐसा विचार कर रहे हैं इतने हीमें पीछेसे एक दूत फरमान ले करके आया।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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