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________________ ६४ ] गीत दूजो मुंहता नैणसीरी ख्यात जेसलमेर धणी राव जादव, घण दळ सरस मचतै घोय | काल्हणहरो' पड़े कम सीसै, पड़त न फिरियों मिलकां पाय ॥ १ असी लाख आलम-दळ ईखे 3, 4 सांहण* लख आये सुरतांण । भुरज-भुरज भुरज भुरज फिरियो राव भाटी, दो नह फिरियो दीवांण ॥२ सुत जसहड़ सांमां सुरतांण, नित-नित ढोवा कटक नवीन । क्रम राखण दीन्हा नव-कोटां, दूदै धरम-द्वार नह दीन ॥३ गीत दूजो पटहथ' पतसाह मयंद मोताहळ', पै भांजतां जु भुय" पड़िया । .10 .12 11 दूद दीठा'' मैं चक्रवत चुणता' कळत 13 स आभरण किया ॥ १ 5 , किलम14 कुंजर नर केहर जुवा कर, पग पग पेखीजै" पड़िया । अविध सुधपत" अधकंठ अबळा, जसह संभ्रम छै जड़िया ॥२ 8 .17 काल्हका वंशज । 2 वादशाही सेना । 3 देखता है । 4 घोड़े, घुड़सवार, घुड़सेना | 5 आक्रमण | 6 किन्तु दूदा शरणागत नहीं हुया । 7 हाथी । 8 मृगेन्द्र सिंह | 9 मुक्ताफल, मोती । 10 भूमि पर । II देखे | 12 चुनते हुए | 13 स्त्रियोंके । 14 मुसलमान । 15 अलग करके 116 दिखाई देते हैं । 17 अधिपति, राजा । 18 पुत्र ।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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