SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 53
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [४५ . मुंहता नैणसीरी ख्यात दूहा- केथ' रयण मूळू सु कुण, देखें नाहीं देख । औ वीकम ऊवेळिया, बोखारी नै सेख ॥१ सोनो रूपो सावटू, लाखां लेखा लेह । लीण महाघण लाखउत, लोभ कंवर लोपेह ॥२ सोनो जैत संभारियो, हय हय प्रांग हत्थ । तूं भाई परधान तूं, वीकम छंड कुवत्थ ॥३ उर करवत वहि प्रापरे, साठ भड़ां सप्रमाण । वीकम सिव मारग वहै, ले दीना मोजांण ॥४ सांम पसावै सांमध्रम, कीधा मैं क्रम कोड़ । प्रगट रिजक दिन पाधरै, जपै वीक कर जोड़ ॥५ वीकमसी रावळ वर्दै', करदै जो करतार । हं जेसळगिर हेकठा, वळे प्रधांनै वार ॥६ वीक विदेसज चालियौ, विजड़हथो बळ बांध । मूळे तोड़ी मुण सुगुर, साहि आलमसूं सांध ।।७ वात वीकमसी आगै काई बुराई कर सकतो नहीं, पाल-पाल राखतो वीकमसो" । पछै मूळराज अाप-मुरादो हुवो । तरै पातसाहतूं तोड़णरी कीवी । सु पातसाहरा गुर रूम-झूम गया था। सु रूम-झूमरै पातसाह इणां पीरजादांनूं तेरै कोड़ रुपियारो माल दियो नै विदा किया', सु पाछा वळता जेसळमेर आय उतरिया' । असवार २०० पातसाहरा सेखरै साथै वोळाऊ11, सु मूळराज रतनसी उणांनूं मारनै वित सोह ....लियो । पातसाहरा गुर बेऊ मारिया । तेरै कोड़ रुपिया नै घोड़ा लिया । .. | कहां । 2 एक वस्त्र । 3 दान | 4 कहता है। 5 जिसके हाथमें तलवार है, खड्गधारी। 6 कोई । 7 वीकमसी उन्हें रोक-रोक रखत।। 8 फिर मूलराज स्वेच्छाचारी हो गया। 9 सो रूम-सूमके बादशाहने इन पीरजादोंको तेरह करोड़ रुपयोंका माल दिया और ..फिर वहांसे रवाना किया। 10 सो लौटते हुए ये जैसलमेर आकर ठहरे । II यात्रा-रक्षक । .. . 12 मूलराज और रतनसीने उनको मार करके उनका सब धन ले लिया। 13 बादशाहके . .. दोनों गुरुओंको मार दिया।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy