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मुंहता नैणसीरी ख्यात ५ ईसरदास रायमलोत । वडो रजपूत । कामरो माणस । राव .. रायसिंघ चंद्रसेणोत साथै सीरोही पूरै लोहड़े पड़ियो । पर्छ करमसेनजीरै वसियो। चांदो खीची करमसेन मारियो, तद रांणारै वास थको मांहैसूं ईसरदास बरछीरी दीवी । पछै सं० १७६१ गोयंददासजी . मारांणा, तद छाडियो । रावळे वसियो। गांव ४सू वीठू दीवी। पछै वळे छाडियो ।
६ सवळसिंघ ईसरदासोत । ६ आसकरण ईसरदासोत । ६ नारणदास ईसरदासोत । ७ मनोहरदास ।
५ भांण रायमलोत । पूरणमल मांडणोतरै वास । संमत १६४० पूरणमलजी साथै सीरोही काम आयो ।
६ अमरो भांणोत । रांमड़ावास जोधपुररो पटै। दिखणमें रांम
कह्यो।
७ तेजमाल अमरावत। संमत १६७८ सांवतकूवो पटै । संमत . १६८९ भाहरो पटै । सं० १६६० खारी लवेरारी पटै' । ..
५ घड़सी रायमलोत । राव चंद्रसेणजीरै गूढो फुलाज थो, त? तुरक आया, तठे काम आयो ।
६ महेस घड़सीरो। संमत १६"वीनावास पीपाड़रो पटै । सं० . १६७२ पांचपदरो भाद्राजणरो दियोथो। पछै करमसेनजीरै गयो, उठ ... रांम कह्यो ।
1 बड़ा वीर राजपूत और उपकारी मनुष्य । राव रायसिंह चंद्रसेपोतके साथमें सिरोहीकी लड़ाई में पूरा घायल हो कर गिरा। 2 फिर करमसेनजीके यहां जाकर रहा। .. फरमसेनने जव चांदा खीचीको मार दिया, तब राणाके यहां रहते थके ईशरदासने भीतरसे ।। फेंक कर बरछीकी मार दी। 3 पीछे संवत् १६७१में जव गोयंददासजी मारा गया तब छोड़ दिया। 4 फिर जोधपुर महाराजाके यहां रहा । महाराजाने ४ गांवोंके साथ वीठू गांव पट्ट में । दिया । 5 परन्तु फिर छोड़ दिया। 6 पूर्णमल मांडणोतके यहां नौकर । संवत् १६४० में पूर्णमलजीके साथ मिगेही में काम आया। 7 जोधपुर परगनेका रामडाबास गांव पट्टेमें। दक्षिणमें मंग। 8 संवत् १६७८में सांवतकुना गांव, संवत् १६८६ भाहरा गांव और संवत् .... १६६० में लयेराका सारी गांव पट्टे में दिये गये। 9 राव चंद्रसेनजीका गुढ़ा फुलाजमें था, वहां तुरु चढ कर पाये जब घड़सी वहां काम प्राया। 10 वहां गमशरण हुमा । .