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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ १८७ ७ दलपत । ७ नाथो । ४ मेरो अचळावत । कूंपाजीरै वास । वडी वेढ कूंपाजी साथै कांम आयो' | ५ अखैराज मेरावत | मांडण कूंपावतरै वास | सीहो सींधळ मारियो त कांम प्रायो । ६ . किसनदास अखैराजोत । सं० १६६४ पांचलो पटै । सं० १६६४ वीझवाड़ियो पटै बीलाड़ारो । सं० १६७२ वळे पांचलो दियो । पछे रांम क" । ७ खेतसी किसनदासोत । सं० १६८० जेसावस मेड़तारो पटै । सं० १६८८ थाहरवसणी सोझतरी जगनाथ भेळी | सं० १६८६ छाछोळाई पटै । सं० १६६१ कमारो वाड़ो । पछै खांडप रा ।। सिंघ जैतमालोतनूं थी । सींव वेई उपाव हुवो, तठे मारांणो । हररांम । 5 ७ जगनाथ किसनदासोत । महेव आधी पटै । ७ कूंभो किसनदासोत । ६ जोगो अखैराजोत । सं० १६४२ रावणियांणारी कणवार दी थी । संमत १६६४ पांचनड़ो सोझतरो पटै । सं० १६५२ महेव सोभतरी दीवी । भलो डील थो । ७ जैतो जोगावत | भगवानदास नारणदासोत रै वास । लखो । रूपसी । I कूंपाजी का चाकर बड़ी लड़ाईमें कूंपाजी के साथ काम आया । 2 सिंघल सीहाको मारा तब अखैराज भी काम काया । 3 संवत् १६६४में पांचला और बिलाडेका वीझवाड़िया पट्टे में | सम्वत १६७२ फिर पांचला गांव दिया। फिर मर गया । 4 संवत् १६८० में मेड़ते परगनेका जैसावास, संवत् १६८८ में जगन्नाथ के शामिल में सोजत परगनेका थाहर-वासरणी गांव पट्टेमें, सम्वत् १६८६में छाछोलाई गांव, संवत् १६६१ में कमारो-वाड़ी गांव पट्टेमें थे । उस समय खांडप गांव रा। सिंह जैतमालोतको पट्टे में मिला हुआ था, उससे सीमा के लिये झगड़ा हुआ जिसमें खेतसी मारा गया। 5 महेव गांव जगन्नाथको आधा पट्ट े में । 6 जोगाको संवत् १६४२ में रावणियाणा गांवकी करणवारका काम दिया गया था । संवत् १६६४ सोजत परगने का पांचनड़ा गांव और सम्वत् १६५२ में सोजत परगनेका महेव गांव पट्ट में दिये गये थे । अच्छे परिवार वाला था ।
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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