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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ १८५ वतरै रयो। पछै रावळ वसियो। सं० १६६० मलाररी पाडरी पटै दीवी' । ७ बळू सुरजनोत । संमत १६६१ मलार पटै । ...... ७ गिरधरदास सुरजनोत । मलार पटै । ... ६ भोपत कचरावत । राजसिंघजीरै वास । ६ उरजन कचरावत । ७ खेतसी। ४ संसारचंद अचळावत । ४ रायमल अचळावत । ५ वैरसी रायमलोत । लालांणो सिवांणारो पटै । पछै जाजीवाळ पटै । सं० १६५८ दिखणमें अांबाररी लड़ाई बांण लागो । ६ जोगीदास वैरसीयोत । सं० १६५८ जाजीवाळ वरकरार । पछै छाडनै राणाजीरै गयो । सं० १६६४ वळे आयो, तद जाजीवाळ दीवी । सं० १६७८ रांम कह्यो । भलो चींधड़ थो । ७ हरीदास जोगीदासोत । सं० १६५८ जाजीवाळ पटै । संमत .१६६२ रांम कह्यो । ८ रुघनाथ । ७ चुतरभुज जोगीदासोत । मेहळी सिवांणारी पटै । ८ मोहणदास चुतरभुजोत । ८ लिखमीदास । ६ गिरधरदास । ७ सांमदास जोगीदासोत । सं० १६६२ जाजीवाळ पट'। ___... ८ रतनसी। राजसिंहजीके यहांसे छोड़ करके भावसिंह कान्हावतके यहां रहा । फिर महाराजाके यहां रहा । संवत् १६९०में मलारका पाडरी गांव पट्ट में दिया। 2 संवत् १६९१में मलार गांव पट्ट में । 3 सिवाना परगनेका लालाणा गांव पट्ट में और फिर जाजीवाल गांव पट्टे में । सम्वत १६५८में दक्षिणमें आवारकी लड़ाई में बारण लगा। 4 सम्वत् १६५८में जाजीवाल :-" गांव पट्ट में कायम रहा। फिर छोड़ कर राणाजीके यहां चला गया। सम्वत् १६६४में वापिस आया तब जाजीवाल गांव पुनः पट्ट में दिया। सम्वत् १६७८में मर गया। यह अफीमची पर • अच्छा. राजपूत था। 5 सम्वत् १६५८में जाजीवाल गांव पट्टे में। संवत् १६६२में मरा। 6 सिंवाना परगनेका मेहली गांव पट्टे में। 7 संवत् १६६२में जाजीवाल पट्टेमें । - ... 7
SR No.010610
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1962
Total Pages369
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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