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________________ नन्दराम तिनके तनय, कवि पण्डित परवीन । ताके भोलानाथः निहि, कीन्हें ग्रन्थ नवीन ॥ छहो शास्त्र अध्येन सों, गये दिल्लीपति पाम । शाहजहां पतिशाह के, भयो मिलत हुलास ।।..... पांचसदी मनसब दियो, राख करि अनि प्रीति । . तब तिनकी मचि जानि जिन, भाषा किय इहि रीति ।। सूरजमल्ल ब्रजेश सो, गयो दिल्लीपति धाम । ले आयो भुवनार्थ को, "दिए वांछित धन धाम ।। 'माधवेश अम्बापतिहि, मिले तहां ते आय । तिनहू भोलानाथ' को, राखे बहु चित लाय || तिनके सुत शिवदास सो, भापा परम प्रवीन । ... हुकम भूप को पाय जिन; भाषा भारत कीनं ॥ कवि भोलानाथ का वंशवृक्ष उपयुक्त आधार एवं उनके वंशज मनोहरलालजी की सूचनानुसार इस प्रकार बनता है-' श्री राम शुक्ल 'दुर्गादास .भपति नन्दराम भोलानाथ (कवि) शिवदाम चैनराम , कुंजीलाल | ‘पनालाल चन्दालाल चुन्नीलाल .. ... गोविन्दलाल गौरीलाल.: रामनाथ मनोहरलाल (वर्तमान)..
SR No.010595
Book TitleKarn Kutuhal
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBholanath Jain
PublisherRajasthan Puratattvanveshan Mandir
Publication Year1957
Total Pages61
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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