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(११४) मिलत-बेलेरकरेपारनाजिनवरआज्ञाशीशधरण॥भ॥१
द्वारामतिनगरीआयनेमजीविंदनगयेबहतेनरनारा॥ छेभाइयोंकापारनाआया।छटभक्तकियोचोविहार॥ आज्ञामांगीश्रीनेमनाथकी । दोदोमुनिवरहुवेतैयार फिरतार आविया ।देवकी माता के दरवार ।। शेर-मुनियोंको देखआतेहुवे धिन्यगरीबनिवाजजी विनय भक्ति सामे आइ । करत अपना काजजी॥ थालभर मौदककी । प्रति लामिया अणगारजी ॥ शुद्ध आवै दान देता । पामे भवनो पारजी ॥ छूट-मुनिराज अहार बेहरीने पाछा फिरिया । सिंघाडो दूजो आयो थोडिसी विरिया ॥ म्हारा पुण्योदय दो विरिया पगलाकरिया ।
इम तीजो सिंघाडो देखकर हर्षे भरिया ॥ मिलित-हाथ जोड आडी फिरी रानी।
अर्ज करे सुनो भवी वरनन ॥ भदल ॥ २॥