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________________ उलट फेर अन्त मे अडतालीस वर्ष की अवस्था मे प्रमीला रस्तोगी को तय करना पड़ा कि वह इन्टरव्यू मे जाएगी और लाइब्रेरियन की जगह पाने का प्रयत्न करेगी। अभी माधव पढ रहा है, राघव भी स्कूल मे है, और उनके पिता से कुछ आशा नही हो सकती है । पाशा थी सुशीला से । वह पुरानी साथिन है और भाग्य से स्कूल की मुख्याध्यापिका है । दूसरे उसने सुना था कि इन्टरव्यू मे माथुर बैठने वाले हैं। वह 'इनके' सहपाठी रहे थे और विवाह जव नया था तो कभी कदास घर पर आ जाया करते थे । प्रमिला ने उन्हे देखा नहीं, न उन्होने प्रमिला को देखा था। घर बडा या और पर्दा रहा करता था। वह भी शर्मीली थी, सुन्दर मानी जाती थी इसलिए और भी शर्मीली थी। किन्तु शायद है कि नाम की याद उन्हे हो और इस कारण इन्टरव्यू में प्रमिला को महारा हो जाए। माथुर वढते-चढते गए थे और इसी सस्था से सम्बद्व एक इन्टरमीडियेट कालेज के प्रिंसिपल के पद से निवन हुए थे। इन्टरव्यू सैर हो गई और प्रमिला को उसमे नियुक्ति भी मिल गई। लेकिन पौने दो सौ की जगह वेतन उसका सवा सौ नियत हुआ। इस पर उसने सुशील से पूछा, "सुगीला, यह वेतन के मान में फर्क यो पदा ? और बतायो मुझे क्या करना चाहिए ?" सुशीला ने कहा, "मैं क्या करती? तुझी ने मेरा मुह सी दिया था। और यह माथुर साहब थे जो पौने दो सी के लिए राजी नहीं थे।" "माथुर नाहव ।" "हा । उन्होने कहा कि पीने दो सौ वेतन देना हो तो हम प्रतिभा
SR No.010363
Book TitleJainendra Kahani 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvodaya Prakashan
PublisherPurvodaya Prakashan
Publication Year1966
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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