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________________ सम्यक् नियतिस्वरूपमीमांसा २८३ २८३ समर्थन होता है। वहां कहा गया है यत्प्राप्तव्यं यदा येन यत्र यावद्यतोऽपि वा। . तत्त्राप्यते तदा तेन तत्र तावत्ततो ध्रुवम् ॥२९-८३।। जिस जीवके द्वारा जहाँ जिस कालमें जिस कारणसे जिस परिमाणमें जोप्राप्तव्य है उस जीवके द्वारा वहाँ उस कालमें उस कारणसे उस परिमाणमें वह नियमसे प्राप्त किया जाता है ।।२९-८३।। यह वस्तु व्यवस्थाका उद्घोषण करनेवाला वचन है। इस द्वारा नियत बाह्य देश और कालके साथ नियत आभ्यन्तर कारणसे होनेवाली नियत पर्यायके स्वरूपकी मर्यादा बतलाई गयी है। सम्यक नियतिका कौई महाशय कितना ही निषेध क्यों न करें, तथा कितने ही स्वाध्याय प्रेमियोंको कितने ही महाशय अपने पक्षमें करनेका उपक्रम क्यों न करें, पर इतनेमात्रसे उसका निषेध नही हो जायगा। किसीके द्वारा अपने कूतों द्वारा उसका निषेध किये जाने पर भी वह वस्तुका अग बना ही रहेगा इसमें सन्देह नहीं । गोम्मटसार कर्मकाण्डमें जहाँ एकान्त नियतिका निषेध किया गया है वहाँ एकान्त पुरुषार्थ आदिका भी निषेध किया गया है। इससे क्या यह माना जा सकता है कि जैनदर्शन में पुरुषार्थ आदिको यत्किचित् भी स्थान नहीं है। यदि नहीं तो जैसे प्राणीमात्रके प्रत्येक कार्यमें उनकी इहचेष्टा (पुरुषार्थ) आदिको स्थान प्राप्त है वैसे ही प्रत्येक कार्य (पर्यायकी उत्पत्ति) में पुरुषार्थ आदिके साथ स्वभाव नियतिको भी स्थान प्राप्त है। गोम्मटसार कर्मकाण्डमें पुरुषार्थ आदिके साथ जो नियतिका निषेध किया गया है सो वह एकान्त नियतिका ही निषेध किया गया है, सम्यक नियतिका नही। सर्वथा एक-एक नयकी अपेक्षा जो ३६३ मत बनते हैं उनकी वहाँ विस्तारसे चर्चा करते हुए बतलाया है कि क्रियावादी एकान्तियोके १८०, अक्रियावादी एकान्तियोंके ८४, अज्ञानी एकान्तियोंके ६७ और एकान्ती वैनयिकोंके ३२ ऐसे कुल मिलाकर ३६३ मत होते हैं। आगे इनका विस्तृत वर्णन करते हुए लिखा जावदिया वयणपहा तावदिया चेव होंति णयवादा । जावदिया णयवादा तावदिया चेव होति परसमया ।। ८९४ ।। परममयाणं वयण मिच्छं खलु होइ सम्बहा वयणा । जेणाणं पुण वयणं सम्म खु कहंचिवयणादो ।। ८९५ ।। जितने वचनपथ हैं उतने ही नयवाद होते हैं और जितने नयवाद
SR No.010314
Book TitleJain Tattva Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherAshok Prakashan Mandir
Publication Year
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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