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________________ शिष्य-प्रश्न ११ mmmmmmmmmmmmmmmmm क्या प्रेम था सासु बधुका, और पतिव्रता कैसी थी नारी । सत्यपथ पर कैसे मरते थे, कैसे थे दृढ़ धर्म धारी ॥ ३ बाहुबली ६ महादेव ४ रामचन्द्र १० भीस ५ हनुमान ११ श्री पार्श्वनाथ ६ सीता १२ भरतेश्वर __ भूतकाल के तीर्थकरो के नाम १ श्री निर्वाण जी १३ ,, शिव गणजी २ , सागरजी १४ , उत्साहजी ३ , महासिन्धुजी , सानेश्वरजी ४ , विमल प्रभुजी १६ ,, परमेश्वरजी ५ , श्रीधरजी १७ ,, विमलेश्वरजी , दत्तजी ,. यशोधरजी ,, असल प्रभुजी , कृष्णमतिजी ,, उद्धारजी ,, ज्ञानमतिजी ,, अंगीरजी २१ ,, शुद्धमतिजी ,, सनसतिजी २२ ,, भद्जी ११ ,, सिन्धुनाथजी २३ ,, अतिकान्तजी १२ ,, कुसुमांजलीजी २४ ,, शान्त स्वामीजी भविष्यकाल के चौबीस अवतारों के नाम तीर्थकरो के नाम जिन्होने तीर्थङ्कर गोत्र उपार्जन किया ५ श्री महापद्मजी १ श्रेणिक राजा २ , सूर्यदेवजी २ सुपार्श्वजी ३ , सुपाश्च जी ३ उदय जी ,, स्वयंप्रभजी | ४ पोटिल अनगारजी - - m ccw
SR No.010290
Book TitleJain Ramayana Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherBhimsen Shah
Publication Year
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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