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________________ रामायण VARANAVANAN raniwww दोहा अष्टम त्रक अवतारों का जो जो विवरण खास । क्रम क्रम से होगा सभी, गति कर्म और वास ।। भारत का गौरव दर्शाने को, यह भी एक महा चरित्र है। कर्त्तव्य जिसे कहती दुनियां, इसमे भी महा पवित्र है। ५ , सर्वानुभूति ६ , देवश्रुत ७ ., उदय ८ , पेढालपुत्र है , पोटिला १० , शतकीर्ति ,, मुनिसुव्रत १२ , सत्यभाववित ,, निषकषाय ,, निष्पलाक ,, निर्मम ,, चित्रगुप्ति १७ ,, समाधि १८ ,, सम्बर ,, यशोधर ,, अनधिक २१ ,, विजय (माल्ली) २२ ,, विमल २३ ,, देवोपपात्त २४ , अनन्तविजय ५ दृढायु ६ कार्तिकसेठ ७ शंख श्रावक ८ आनंद ६ सुनंद १० सत्तक ११ देवकी १२ सत्याकी १३ कृष्णवासुदेव १४ बलभद्र १५ रोहिणी १६ सुलसा १७ रेवती १८ सथाल १६ भयाल २० द्विपायन २१ नारद २२ अम्बड २३ दासभृत-अमरजीव २४ स्वातिबुद्ध
SR No.010290
Book TitleJain Ramayana Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherBhimsen Shah
Publication Year
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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