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________________ शिष्य-प्रश्न - m स्वामिन है इच्छा सुनने की, वह भी कृपा हम पर होगी। कौन कौन गये शुभ गति मे, गति को को हुए विषम भोगी॥ कर्मावतार नौ प्रति वासुदेव प्रति नारायण १ अश्वग्रीव ६ बल २ तारक ७ प्रह्लाद ३ मेरक ८ रावण ४ मधुकेटक है जरासिन्ध ५ निशुम्भ नव बलदेव १ अचल ६ आनन्द २ विजय नन्दन ३ भद्र ८ पद्म (राम) ४ सुपुत्र ६ बलभद्र ५ सुदर्शन नव नारद १ भीम महाकाल महाभीम ७ दुमुख ८ नर्क मुख ४ सहारुद्र ६ अधोमुख ५ काल एकादश रुद्र १ भीमबली ७ पुण्डरीक २ जीत शत्र ८ अजित धर है जितनामी ४ विश्वनाथ १० पीठ ५ सुप्रतिष्ट ११ सात्यकि ६ अन्तल 0
SR No.010290
Book TitleJain Ramayana Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherBhimsen Shah
Publication Year
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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