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________________ रामायण दोहा कथन आपका है प्रभु, प्रश्न व्याकरण मांय । सीता कारण क्षय हुवा, महान जन समुदाय ।। अष्टम वासुदेव लखन श्री, रामचन्द्र और रावण का । हनुमान और सुग्रीव वाध सीता का हाल चुरावन का ।। १८ , अरहनाथजी मत्स का १६ , मल्लिनाथजी कलश का २० , मुनिसुव्रतजी कछुए का २१ ,, नेमिनाथजी कमल का २२ ,, अरिष्टनेमीजी शंख का २३ , पार्श्वनाथजी सर्प का २४ , महावीर स्लामीजी सिंह का द्वादश भोगावतार चक्रवर्तियों के नाम १ भरत चक्री ७ अरहनाथ चक्री २ सगरं चक्री ८ सम्भूम चक्री ३ माघव चक्री ६ महापद्म चक्री ४ सनत कुमार चक्री १० हरिषेण चक्री ५ शान्तिनाथ (तीर्थकर) चक्री | ५१ जयनाम चक्री ६ कुन्थुनाथ चक्री १२ ब्रह्मदत्त चक्री कर्मावतार नौ वासुदेव नारायण १ त्रिपिष्ट ६ पुण्डरीक २ द्विपिष्ट ३ स्वयम्भू ८ लक्ष्मण ४ पुरुषोत्तम कृष्ण महाराज ५ पुरुषसिंह
SR No.010290
Book TitleJain Ramayana Purvarddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShuklchand Maharaj
PublisherBhimsen Shah
Publication Year
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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